सिद्ध योगेश्वर श्री लद्धाईनाथ ने कोथनगर की गाढी थी मोढी
जींद, सोनीपत24, ब्यूरो। भारत समेत पूरे एशिया महाद्वीप में आई पंथ नाथ सम्प्रदाय की शीर्ष “सिद्ध पीठ श्री लद्धाईनाथ मठ कोथ-जय दादा काला पीर” नाथों का शौर्यस्थल है। इस पीठ को नाथ सम्प्रदाय की राजधानी भी कहा जाता है। ये सिद्धपीठ योगेश्वर श्री कलाईनाथ महाराज और उनके उपनाम दादा काला पीर के नाम से जग प्रसिद्ध है। इस पंथ में एक से एक महान सिद्ध योगी, तपस्वी योग के तत्ववेत्ता हुए हैं, जिनमें गद्दीनशीन वैदिक सिद्धांतों व सनातन पथिक अनन्तश्री से विभूषित महंत पीर नंदाईनाथ भी शामिल रहे और सुरजाईनाथ के बाद यहां पर वर्तमान में शुक्राईनाथ महाराज विद्यमान हैं। लगभग 6890 वोटों वाले इस गांव कोथकलां की स्थापना सन् 800 ई0 में हुई थी और वर्तमान में गांव की चौबीसवीं पीढ़ी चल रही है। जब गांव बसा तब से पहले ही आई पंथ का शीर्ष पीठ था और उस समय में तो नाथ सम्प्रदाय के पंथ भी बन चुके थे।
आई पंथ की प्रवृत्तिका भगवती बिमला माई गोरक्षानाथ की शिष्या रही और उन्हीं से दीक्षित थी। उन्हीं के आईपंथ में कोथनगर की स्थापना के समय तत्कालीन पीठाधीश्वर सिद्ध योगेश्वर श्री लद्धाईनाथ थे, जिन्होंने कोथ की मोढी (नींव) गाढी थी। लगभग 900 वर्ष पूर्व सिन्ध नदी के पास गांव पट्टी-सराली (अमृतसर) पंजाब से सन्धू परिवार, सूरा प्रजापत व खोबडा़ (एस सी) एवं मण्डोलीकलां (भिवानी) से श्योराण इस गांव में आकर बसे थे। जनश्रुति के अनुसार पहले यह मुस्लिम गांव था और कलाल जाती के लोग यहां रहते थे। गांव में आस्था की प्रतीक पुरानी मस्जिद भी है, जहां मौलवी विद्यमान है। वर्तमान में 2995 वर्ग हेक्टेयर में फैले इस गांव में ग्रहा, तिहाई, श्योराण नामक तीन पाने (बगड़) व चौथा पाना कोथखुर्द के नाम से अलग गांव बसा हुआ हैं।
कोथखुर्द में जन्में सुरेन्द्र कुमार वर्मा रिटायर्ड डीआईपीआरओ गरीब व जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की शिक्षा के लिए समय-समय पर मददगार बने हुए हैं। गांव कोथकलां में 12 ठोले भी हैं। गांव में सन्धू, श्योराण गौत्र के अलावा मुस्लिम, पांचाल, पण्डित, तेली, छिम्बी, खाती, प्रजापत, सैन, सुनार, झिंमर, वाल्मीक, एससी व अन्य वर्गों के लोग मिलजुलकर रहते हैं। गांव में स्थापित गौरवपट् से साफ झलकता है कि खेल के क्षेत्र में यहां के खिलाड़ियों नामत: रविन्द्र पुत्र वजीर, सुरेश पुत्र चन्द्र सिंह, ज्योति पुत्री महेन्द्र सिंह, नरेश कुमार सन्धू (सब-इंस्पेक्टर पुलिस), डा0 राकेश श्योराण पुत्र रमेश श्योराण ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन किया है। उत्कृष्ट खिलाडी राकेश श्योराण ने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना में 2 जनवरी से 5 जनवरी 2019 में आयोजित आल इण्डिया इंटर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटीज गेम्ज/स्पोर्टस मीट दौड में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
वर्तमान में राकेश श्योराण एचएयू हिसार में एसटीए के पद पर कार्यरत है। इस गांव के स्वतन्त्रता सेनानियों नामत: स्व0 जोगीराम सन्धू, रामकरण सन्धू, छोटूराम सन्धू, शीशराम श्योराण, हरिसिंह श्योराण, रामकिशन श्योराण का आजादी की लडा़ई में अहम योगदान रहा। गांव के शिक्षित एवं जागरूक नागरिकों में विजयसिंह सन्धू सेवानिवृत्त (उपनिदेशक सांख्यिकी विभाग), स्व0 दयासिंह श्योराण (एसएसपी), ला में डबल गोल्ड मैडलिस्ट सुखदा प्रीतम (सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन अम्बाला ) पत्नी रूपेन्द्रसिंह श्योराण एडवोकेट, राकेश सन्धू (एचसीएस), बबली (फ्लाइंग आफिसर भारतीय वायुसेना), फतेहसिंह (कैप्टन भारतीय सेना), रणबीर सिंह (डीआईसीसीआरपीएफ), कुलदीप सिंह, रतनसिंह सन्धू (चीफ इंजीनियर बिजली), स्व0 वेदप्रकाश सन्धू (डीएसपी),एसएस सन्धू सेवानिवृत्त (एसिस्टेंट कमांडेंट सीएसएफ नई दिल्ली ), राजबीर सन्धू के नाम भी उल्लेखनीय हैं।
गांव में शिव मन्दिर व बाबा काला पीर का डेरा है, जिसकी पूरे गांव में मान्यता है। इसके अलावा लालमन परिवार के कुल देवता बाबा नत्थनमल की समाधि एवं मन्दिर भी है, जिसका जैन परिवार द्वारा 12 अप्रैल 1992 में निर्माण किया गया था। मन्दिर परिसर गेट के पास जनसुविधाओं के लिए अस्पताल व औषधालय भी है। गांव में बनिया वाला चौंक पर चार गांवों नामत: कोथकलां, कोथखुर्द, नाडा़, गैबीनगर का सन 2010 में बनाया गया, सांझा चबूतरा, सियाराम युवा क्लब, शहीद भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव की तस्वीर, सौन्दर्य व सलोगनों से परिपूर्ण राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, शहीद भगतसिंह की प्रतिमा, जन सुविधाओं के लिए बैंक, 33 केवी बिजली घर, पुरानी मस्जिद, जोगीवाला जोहड़, व अन्य प्राचीन यादों के रूप में खण्डहर ब्रज,कुएं-घाट, तालाब, जलघर व अन्य सुविधाएं भी हैं।
गांव के समाज सेवी व प्रतिष्ठित व्यक्तियों में किसान नेता सुरेश, वेदपाल आर्य, पुलिस वीरता पदक विजेता रणबीरसिंह (राष्ट्रपति अवार्डी), जसबीर श्योराण, इंजीनियर जसवन्तसिंह जागडा़, रेलवे विभाग में सीटीआई के पद से सेवानिवृत्त इन्द्र सिंह श्योराण, एसिस्टेंट कमांडेंट रिटायर्ड सत्यबीरसिंह सन्धू, कुलदीप सिंह सन्धू, श्रीभगवान शर्मा, महेन्द्र सोनी, दयानंद श्योराण, रमेश श्योराण, पूर्व पंचायत समिति मैम्बर नफेसिंह उर्फ नफड़, महाबीर शर्मा, पूर्व सरपंच सुरजीतसिंह सन्धू, अनिल सन्धू, अमीर सिंह, पालड़, चांदीराम, बुजुर्ग दलेरसिंह, मनफूलसिंह, गजेसिंह, रिटायर्ड हैडमास्टर धर्मपाल शर्मा, रविन्द्र शास्त्री, हरिकेश फौजी, पालसिंह नम्बरदार, रामपाल सैनी, रोडवेज से रिटायर्ड रघबीर पहलवान व धर्मबीरसिंह, अस्तरबेग, रामकुवार, हवासिंह, जयपाल, बनीसिंह, बिल्लू, देवा नम्बरदार, जगमल, भानसिंह, देवेन्द्र, बलराज सन्धू, अधीक्षक सेवानिवृत्त हवासिंह श्योराण, रिटायर्ड हैडमास्टर रघबीर सिंह व ओमप्रकाश सन्धू, इंजीनियर राजीव सन्धू, सज्जनसिंह एडवोकेट, सतपाल सन्धू, पूर्व एससी मैम्बर मांगेराम, सुबेसिंह, सत्यनारायण वर्मा, रामकुमार वर्मा, सतपाल वर्मा, राजेन्द्र शर्मा, प्रीतम, सलीम जिन्दरैण, बीएड अमन शर्मा, कर्मबीर, नन्दप्रकाश,पवन शर्मा, बीरबल, संजीव, लहरीसिंह, विनोद शर्मा,शमशेरसिंह, जयपाल, महासिंह, राममेहर प्रजापत के नाम भी उल्लेखनीय हैं।
जनश्रुति के अनुसार गांव के मुस्लिम सुनार ने अंग्रेजों के समय में चांदी का सिक्का चलाया था। गांव के लोगों का कहना है कि दादा काल पीर ने ओटडा (दीवार) को एक कदम चलाया था और शेर को गाय बनाया था। इसके अलावा दादा काला पीर ने आधी गेहूं कोथ के डेरे में उतार कर और बाकि की आधी गेहूं वापस मस्ताईनाथ मठ अस्थल बोहर में भेजकर अपनी शक्ति का परिचय दिया था।