सावन के आते ही…. कुएं, नदी, तालाब, समंदर भरे नज़र आते हैं, सावन के आते ही उपवन हरे नज़र आते हैं। टूटी-फूटी सड़कें मेरे गांव, गली, शहर की, आते जाते वाहन सब…
बरसात में चलाओ, गाड़ी ज़रा सम्भल के, कब जाने कौन आये,गड्ढा कहीं निकल के। मेरे शहर की सड़कें, पेरिस से कम नहीं है, है क़दम-क़दम पे टूटी, लेकिन शर्म नहीं है। आराम…
हरियाणा राज्य में पंजाबी भाषा की स्थिति, परिपेक्ष व भविष्य विषय रहा राजेश क्वात्रा, हांसी। हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी हरियाणा सरकार के सहयोग से ग्रीन लिटरेचर संस्था ने राज्य स्तरीय वेबीनार का…
घर जीवन, बाहर मरण, लॉक डाऊन है समझ। लाभ-हानि के क्रय-विक्रय धरे रह जायेगे तू समझ।। माटी की देह है, माटी का बिछौना! मरकज में बैठ कर मत बना धर्म का खिलौना!…