आग लगाने वाले सुन ले हम इतने मासूम नहीं : सुदीप भोला Posted on February 29, 2020 कौन नाग है कौन नागरिक हिंदुस्तान समझता है, जीवीएम में 9वां अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन गंभीर मंथन और ठहाकों के बीच हुआ संपन्न रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। जहर और अमृत का अंतर हर इंसान समझता है, गद्दारी और वतन परस्ती की पहचान समझता है। आग लगाने वाले सुन ले हम इतने मासूम नहीं, कौन नाग है कौन नागरिक हिंदुस्तान समझता है।। हाल ही में राजधानी दिल्ली में हुए निंदनीय नरसंहार पर कटाक्ष करती इनकी पंक्तियों को जबलपुर से आये मशहूर कवि सुदीप भोला ने पढ़ा तो पूरा पंडाल गंभीर मंथन में डूबता नजर आया। मौका था जीवीएम गल्र्ज कालेज में 9वें अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन के आयोजन का, जिसका शुभारंभ पूर्व मंत्री कविता जैन व संस्था के प्रधान डा. ओपी परूथी ने दीप प्रज्वलित करके किया। कवि सम्मेलन भले ही हास्य रस को समर्पित था, किंतु देश के समक्ष उपजे गंभीर संकट से कविगण भला कैसे खुद को दूर रख सकते थे। ऐसे में सुदीप भोला ने अपनी प्रस्तुति से देश की एकता व अखंडता को मजबूती देने पर बल दिया। उन्होंने दंगों पर चिंता जताई और इसके दोषियों को संदेश दिया कि वे देश का भाईचारा किसी भी कीमत पर खत्म नहीं कर सकते। कवि-कवयित्रियां बेटियों के उत्थान को समर्पित जीवीएम में आये तो वे उत्साहपूर्वक बेटियों के लिए रचनाएं प्रस्तुत करते नजर आये। बदायूं से आये डा. सोनरूपा विशाल ने अपनी रचना में बेटियों को इस प्रकार चित्रित किया- खुशनुमा चित्त जैसी होती हैं, मांगलिक मित्र जैसी होती हैं। खुशबुयें बांटती है जीवनभर, बेटियां इत्र जैसी होती है।। दिल्ली से आई कवयित्री कल्पना शुक्ला ने भी बेटियों की क्षमता व प्रतिभा को समर्पित रचना की प्रस्तुति दी- बेटियों को कम आंकते हो हम बेटियों में हिमावान छुआ है, गीता-कुरान-पुराण छुआ है तो तीर-कमान-कृपाण छुआ है। जल में थल में और अंबर में अरे कोई बताओ कहां न छुआ है,हिंदुस्तान की बात नहीं हमने यह विश्व महान छुआ है।। हास्य कवि डा. जगबीर राठी ने गंभीर हुए माहौल को हलका बनाने के लिए हास्य रचना की प्रस्तुति दी तो पंडाल ठहाकों से गूंज उठा। उनकी प्रस्तुति थी- एक-एक दिन भी अपना त्यौहार होता था, हमको भी इक गौरी से कभी प्यार होता था, लगते थे सलमान खान से ना गर्लफ्रेंड का टेलर था, ऐसा नहीं कि मैं पहले भी गंजा मोटा था।। हाशिम फिरोजाबादी ने प्रेम रस से युक्त रचना की दमदार प्रस्तुति में बदलते परिवेश को उकेरने का प्रयास इस तरह किया- तितलियों के दामन भी नम दिखाई देते हैं, फूल अब गुलाब के कम दिखाई देते हैं, शायरी के फन से ही शोहरतें मिली इतनी, लड़कियों की आंखों में हम दिखाई देते हैं।। पदमश्री कवि डा. सुनील जोगी ने अपनी रचनाओं में कई रस बिखेरे। जोगी ने नेता विशेष पर कटाक्ष कर श्रोताओं को लोटपोट कर दिया- चाहत के समंदर में उतरने नहीं दूंगा, मेहबूब की गलियों से गुजरने नहीं दूंगा। एक रोमियो से योगी जी ने बात ये कही, जो मैंने ना किया वो तुम्हें भी करने नहीं दूंगा।। डा. जोगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को गुदगुदाने का सफल प्रयास किया। उन्होंने प्रेम रस की रचनाओं के साथ कश्मीर समस्या पर भी प्रस्तुति दी। कवयित्री मुमताज नसीम ने बेटियों को प्रोत्साहन देने वाली रचनाओं की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी। साथ ही उन्होंने प्रेम रस को भी अपनी रचनाओं में स्थान दिया। कवि सम्मेलन में सूत्रधारक की भूमिका हास्य कवि डा. जे. राठी ने निभाई। कालेज की प्राचार्या डा. ज्योति जुनेजा ने सभी अतिथियों व कवियों का स्वागत करते हुए पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। अंत में संस्था के प्रधान डा. ओपी परूथी ने अतिथियों व कवियों का धन्यवाद किया। इस दौरान कालेज की छात्राओं और श्रोताओं ने कवि सम्मेलन का जमकर लुत्फ उठाया। छात्राओं ने हर बेहतरीन रचना का जोरदार तालियों से स्वागत किया। हास्य रचनाओं पर उन्होंने खूब ठहाके भी लगाए। इस मौके पर अति विशिष्ठ अतिथि के रूप में अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश यादव उपस्थित रहे। इस दौरान मदनलाल कुमार, राजेश रेलन, रवि गांधी, डा. मंजू पपरेजा, ओपी मोगला, डा. शशि मनचंदा, डा. शकुंतला गक्खड़ सहित शिक्षण व गैर-शिक्षण कर्मचारी और हजारों छात्राएं उपस्थित रही।