सावन के आते ही….
कुएं, नदी, तालाब, समंदर भरे नज़र आते हैं,
सावन के आते ही उपवन हरे नज़र आते हैं।
टूटी-फूटी सड़कें मेरे गांव, गली, शहर की,
आते जाते वाहन सब ही डरे नज़र आते हैं।
नहीं रहा कोई मोल जगत में रिश्ते सारे झूठे,
चुनाव जितते ही ज्यूं नेता परे नज़र आते हैं।
पैसे वाले मौजों में, साधारण का मोल नहीं,
बुरे दौर में बस साधारण मरे नज़र आते हैं।
मेरी बहनें रहें सदा, ख़ुश बस इतना ही चाहूं,
सचिन को बहनों से बंधन खरे नज़र आते हैं।
लेखक : सचिन गोयल, गन्नौर शहर सोनीपत हरियाणा