- -जिला प्रशासन ने जनमानस के हित के लिए की किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील
- -पराली जलाने वाले किसानों पर की जाएगी सख्त कार्यवाही
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। उपायुक्त ललित सिवाच ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन का सहयोग करते हुए वे किसी भी कीमत पर पराली न जलाएं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से एक तरफ जहां पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ आम जन-मानस की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विशेष तौर पर बच्चों, बुजुर्गों व सांस से संबंधित रोगियों के समक्ष भारी परेशानी बन रही है।
उपायुक्त ने आमजन से आह्वान किया है कि वे पराली नहीं जलाने के अभियान को एक जन आंदोलन का रूप दें और प्रत्येक नागरिक को पराली नहीं जलाने के बारे में जागरूक करें। जिला प्रशासन ने पराली जलाने के मामले को बड़ी गंभीरता से लेते हुए जिला में धारा-144 लगाई गई है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित कर लोगों से इस अभिशाप को मिटाने की अपील की गई है। इसके साथ-साथ जिला प्रशासन द्वारा निगरानी कमेटियों का गठन किया गया है।
उपायुक्त सिवाच ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे पराली जलाने की बजाय फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, जिससे की वातावरण भी प्रदूषित न हो और उनकी आमदनी में भी बढ़े। इसके साथ ही जिला में बनाई गई निगरानी कमेटी के सदस्यों को और सख्ती बरतने तथा लोगों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जहां भी पराली जलाए जाने की जानकारी मिलती है, उसकी सूचना अतिशीघ्र जिला मुख्यालय या कृषि विभाग को दें, ताकि तुरंत प्रभाव से मौके पर पहुंचकर चालान की कार्रवाई की जा सके।
उपायुक्त ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा पम्पलैट व अन्य सामग्री के माध्यम से लोगों को पराली नहीं जलाने के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। जिला प्रशासन तथा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पम्पलैट के माध्यम से अपील की है कि किसान इस साल धान की कटाई उपरान्त पराली में बिल्कुल भी आग न लगाएं और पराली का विभिन्न कृषि यंत्रों जैसे सुपर सीडर,जीरो टीलेज मशीन, स्ट्रा चोपर, हैपी सीडर, रिवर्सीबल प्लो का प्रयोग करके पराली को जमीन में मिलाकर जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ाएं या स्ट्राबेलर मशीन से पराली की गांठे बनाकर लाभ कमाएं। किसानों को दोनों ही तकनीकें (इन सीटू व एक्स सीटू) अपनाने पर सरकार द्वारा 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी किसानों को दी जाएगी। इसके लिए किसान कृषि विभाग के पोर्टल पर अपना पंजीकरण अवश्य करवा लें और योजना का लाभ उठाएं।
पराली नहीं जलाना एक तरह से पुनीत व जनहित का कार्य है। इस कार्य में सरकार व प्रशासन का सहयोग करें और अपनी भूमि की उर्वरक शक्ति को बरकरार रखने का प्रयास करें। उपायुक्त ने कहा कि मिट्टी किसान की सबसे कीमती संपत्ति है। एक किसान की उत्पादक क्ष्मता का सीधा संबंध उसकी मिट्टी के स्वास्थ्य से होता है। इसलिए फसल अवशेषों को न जलाएं, उन्हें मिट्टी में मिलाएं और मिट्टी की उर्वरकता शक्ति को बढ़ाएं। जिला प्रशासन द्वारा फसल की कटाई उपरान्त बचे हुए फसल अवशेषों को जलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिसकी अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 188 संपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंड का भागी होगा।