मीड-डे मिल वर्कर्स का न्यूनतम वेतन 24000 घोषित किया जाए
श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की ब्लाक कमेटी सोनीपत की मीटिंग पंचायत भवन में रोशनी की अध्यक्षता में हुई। मीटिंग का संचालन सीमा ने किया। मीटिंग में मुख्य रूप से सीटू के जिला प्रधान आनंद शर्मा शामिल हुए। उन्होंने मीड-डे मील वर्करों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है। लेकिन बेटियों से फ्री में काम लिया जा रहा है। स्कूलों में खाना बनाने वाली मिड-डे मील वर्कर्स को मात्र 35 सौ रुपए मानदेय दिया जा रहा है। मानदेय कई-कई महीने तक लटका कर रखा जाता है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार जो अपने सरकारी विभाग में भी न्यूनतम वेतन अधिनियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
उन्होंने मांग की कि जब रेगुलर काम है, तो मीड-डे मिल वर्कर्स को पक्के कर्मचारी का दर्जा क्यों नहीं दिया जाता। जब तक पक्का नहीं किया जाता, कम से कम न्यूनतम वेतन दिया जाए और न्यूनतम वेतन 24000 घोषित किया जाए। देश के संविधान एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार भी समान काम समान वेतन अभी तक मिड- डे मील वर्कर्स पर लागू नहीं किया गया है। सरकारी टूरिज्म के होटलों में खाना बनाकर परोसने वाले कर्मचारियों के समान वेतन मिड-डे मील वर्कर्स को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार मिलना चाहिए, लेकिन केंद्र व हरियाणा सरकार गरीब महिलाओं का शोषण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 30 मई को सीटू का स्थापना दिवस पंचायत भवन सोनीपत में मनाया जाएगा। उसी दिन मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन ब्लॉक सोनीपत का चुनाव भी किया जाएगा। मीटिंग में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करते हुए सरकार से मांग की है कि आंगनवाड़ी वर्कर्स का क्या कसूर था। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में अपने मन की बात में घोषणा की थी कि वर्कर्स को 15 सौ रुपए और हेल्पर को 750 रुपए दिए जाएंगे।
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2018 में ही हड़ताल के दौरान यूनियन के साथ समझौता किया था कि वर्कर्स को कुशल, हेल्पर को अर्धकुशल का दर्जा देते हुए न्यूनतम वेतन दिया जाएगा। हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री की घोषणा और अपने द्वारा किए गए समझौते को लागू नहीं किया तो वर्कर्स ने पहले मांग पत्र दिए, नोटिस दिए, उसके बाद आंदोलन शुरू किया। आंदोलन के दौरान भी हरियाणा सरकार ने समझौते अनुसार सभी वर्कर्स को ड्यूटी पर लेना तय हुआ था। मुकदमे वापस लेना तय हुआ था, लेकिन अभी तक हरियाणा सरकार ने आंगनवाड़ी वर्कर्स तालमेल कमेटी के साथ किए गए समझौते को लागू नहीं किया। मिड-डे मील वर्कर्स सरकार से मांग करती है कि आंगनवाड़ी वर्कर्स को तुरंत बहाल किया जाए, बनाए गए मुकदमें वापस लिए जाएं और हड़ताल के दौरान 4 माह का वेतन तमाम वर्कर्स को दिया जाए।