जीवीएम के भूगोल विभाग के तत्वावधान में ऑनलाईन नेशनल लेवल कंपीटिशन संपन्न
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। जीवीएम गल्र्ज कालेज के भूगोल विभाग के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाईन नेशनल लेवल कंपीटिशन के तहत नारा लेखन स्पर्धा में बहादुरगढ़ की गरिमा अव्वल रही तो पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में कैथल के प्रिंस ने बाजी मारी। विजेताओं को ई-सर्टिफिकेट से सुशोभित किया गया। संस्था के प्रधान डा. ओपी परूथी व प्राचार्या डा. ज्योति जुनेजा ने विजेताओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
प्रतियोगिता की प्रमुख संयोजक प्रो. रजनी कत्याल ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ऑनलाईन नारा लेखन एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताओं में विजेताओं ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का मुख्य विषय सतत पोषणीय विकास, किसान का जीवन एवं जल संसाधनों का संरक्षण रखा गया, ताकि इन विषयों के महत्व को समझा जा सके। ऑनलाईन नारा लेखन प्रतियोगिता में वैश्य आर्य शिक्षा महिला महाविद्यालय बहादुरगढ़ की छात्रा गरिमा ने प्रथम व ताऊ देवीलाल राजकीय महिला महाविद्यालय मुरथल की पायल ने द्वितीय तथा बाबू अनंतराम जनता कालेज कौल के छात्र रोहताश ने तृतीय स्थान हासिल किया। नारा लेखन में मेजबान जीवीएम की बीए भूगोल ऑनर्स द्वितीय वर्ष की छात्रा गीतिका सहरावत को सांत्वना पुरस्कार से नवाजा गया।
ऑनलाईन पोस्टर मेकिंग स्पर्धा में आरकेएसडी कालेज कैथल के छात्र प्रिंस ने प्रथम व वैश्य आर्य शिक्षा महाविद्यालय बहादुरगढ़ की छात्रा करिश्मा ने द्वितीय तथा सैनी को-एजुकेशन कालेज रोहतक के छात्र सचिन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। पोस्टर मेकिंग में जीवीएम की छात्रा रितिका पंघाल को सांत्वना पुरस्कार से सुशोभित किया गया। प्रतियोगिता के सफल आयोजन में विशेष रूप से प्रो. रजनी कत्याल व प्रो. केसी नैन ने प्रमुख भूमिका निभाई। साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर डा. पिंकी, कीर्ति, कविता, शिवानी, रूचि तथा खुशी ने विशेष सहयोग प्रदान किया। प्रतियोगिताओं में विजेताओं व प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया।
प्राचार्या डा. ज्योति जुनेजा ने सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए प्रतियोगिता के लिए दिए गए विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सतत पोषणीय विकास का अर्थ है संसाधनों का इस तरीके से उपयोग करना कि हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाए और आने वाली पीढ़ी के लिए भी संसाधन बचे रहे सकें। जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण तथा कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुन:चक्रण करना। इसके साथ उन्होंने बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि ही है। कृषि कर्म ही जिनके जीवन का आधार हो वह कृषक है। कृषि प्रधान देश होने के कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था का लगभग समूचा भार भारतीय किसान के कंधों पर ही है।