- -कोरोना संक्रमण से प्राण गंवाने वाले माता-पिता के बच्चों का पोषण करेगी सरकार
- – 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों को प्रतिमाह 2500 रुपये व सालाना 12 हजार रुपये की मिलेगी आर्थिक मदद
- -बच्चों को संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा व पोषण की भी विशेष सुविधा
- -8वीं से 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों को दिए जाएंगे टेबलेट
- -उपायुक्त ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत आयोजित बैठक में दिए जरूरी निर्देश
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। कोरोना संक्रमण के चलते अनाथ हुए बच्चों का पालन-पोषण मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत किया जाएगा। इस योजना का लाभ प्रत्येक पात्र बालक-बालिका को दिया जाएगा। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की वैबसाईट पर आवेदन किया जा सकता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में भी आवेदन किया जा सकता है। उपायुक्त ललित सिवाच ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की जिला में प्रगति को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि योजना का लाभ हर पात्र बच्चे को दिया जाए। इसके लिए आने वाले आवेदनों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की जाए।
उन्होंने बताया कि 0-18 वर्ष आयुवर्ग तक के बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। यदि कोरोना संक्रमण के चलते माता-पिता दोनों की अथवा पिता की मृत्यु हुई है तो उन बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक प्रति माह 2500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही शिक्षा व अन्य आवश्यकताओं के लिए 12 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे। उपायुक्त ने कहा कि इन बच्चों के लिए बाल देखभाल केंद्रों में रहने की व्यवस्था भी रहेगी। यदि बच्चा बाल देखभाल केंद्र में रहेगा तो उस बच्चे को प्रति माह 1500 रुपये दिए जाएंगे। केंद्र में बच्चों का पूर्ण पालन-पोषण सरकार कराएगी। उन्होंने बताया कि लड़कियों को कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में शिक्षा की सुविधा दी जाएगी।
लड़कियों की 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने उपरांत विवाह के मौके पर मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत 51 हजार रुपये प्रदान किये जायेंगे। साथ ही 8वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग की ओर से टेबलेट प्रदान किये जायेंगे। उपायुक्त ने जानकारी दी कि इस योजना में उन बच्चों को भी शामिल किया गया है जिनके माता-पिता की मृत्यु उपरांत अन्य अभिभावक उनका पोषण कर रहे थे, किंतु उनकी कोरोना से मृत्यु हो गई। गोद लिए गए बच्चों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस दौरान उन्होंने पांच बच्चों के मामलों की सुनवाई भी की, जिन्हें अनाथ बच्चों की श्रेणी में शामिल करने को लेकर बाल स्वराज पोर्टल पर आवेदन किया गया है। इन बच्चों के माता-पिता की कोरोना मृत्यु की जांच एवं सत्यापना के लिए उन्होंने सिविल सर्जन को निर्देश दिए।