देवेन्द्र बत्रा, जींद। उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने बताया कि पानी के बिना हम एक दिन भी नहीं रह सकते और पानी के बिना जीवन जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते। पानी हमारा जीवन है। धरती पर पानी के बिना जीवन संभव नहीं है और हम आखिरी पीढी नहीं है जो धरती पर रह रहे है। हमने अपनी आने वाली पीढियों के लिए जल जैसी अनमोल धरोहर को बचाकर रखना है। इसी के साथ-साथ यदि हमें प्राकृति को शुद्व एवं प्रदूषण रहित रखना है तो धरती को हरा-भरा रखना बहुत जरूरी है।
ऐसा करने के लिए पानी का सही प्रयोग करना और इसे बचाना ही समय की सबसे महत्वपूर्ण मांग है। यदि हम जल को बचाने की प्रतिज्ञा लेंगे और दूसरे लोगों को भी जल बचाने के लिए प्रेरित करेंगे तभी हम जल को बचा सकते है और अपनी आने वाली पीढियों को जल की समस्या से निजात दिला सकेंगे। इसलिए हमें जल बचाने की शपथ अवश्य लेनी चाहिए। उपायुक्त ने गर्मी के मौसम को मद्देनजर रखते हुए लोगों से आग्रह किया है कि वे पानी की महत्वत्ता को समझकर पानी का सदुपयोग करें। प्राय: देखने में आया है कि जब पानी की आवश्यकता नहीं होती तो लोग नलों को खुला ही छोड़ देते हैं और पानी व्यर्थ में बहता रहता है।
उन्होंने कहा कि यदि हम इसी प्रकार पानी का दुरूपयोग करते रहेंगे तो आने वाले समय में हमें पानी के घोर संकट का सामना करना पडेगा। जब पानी की आवश्यकता न हो तो नल को बंद अवश्य कर दें। गांवों में सभी ग्रामीणों का भी दायित्व बनता है कि वे गलियों एवं चौराहों आदि पर लगे पानी की नलों एवं टूंटीयों को खुला न छोड़े और जरूरत के अनुसार ही प्रयोग कर उन्हें बन्द कर दें और यदि पानी की नल एवं टूंटी खराब है तो उसे तुरन्त ठीक करवाएं, ताकि पानी व्यर्थ न बहे। आदित्य दहिया ने कहा कि गांव एवं शहरी क्षेत्रों में घर की सफाई करते समय ज्यादातर महिलाएं पाईप लगाकर फर्श धोती है जिससे पानी का दुरूपयोग होता है।
फर्श की सफाई के लिए खुले पानी के पाईप का इस्तेमाल न करके कपडे से साफ करना ज्यादा बेहतर है। इसी प्रकार पीने के लिए भरने वाले पानी को भी नाली में बेकार ही बहा दिया जाता है जबकि इस पानी को पौधों में देकर इसे व्यर्थ बहनेे से बचाया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे पानी का सदुपयोग करें तथा पानी से वाहन वगैरा न धोएं तथा पार्कों आदि में पानी के पाईप खुले न छोड़े। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है, जल है तो कल है। यदि हम भविष्य के लिए जल को बचाना चाहते हैं तो उसका संरक्षण बहुत जरूरी है। पानी बचाने से न सिर्फ भूजल स्तर ऊपर आएगा बल्कि पानी की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।