- बाबा साहेब स्पष्ट वक्ता दूरदर्शी सच्चे राष्ट्रवादी थे : राजीव जैन
- ककरोई रोड़ स्थित दी अम्बेडकर एजुकेशनल सोसायटी द्वारा डा. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती बड़े धूमधाम के साथ मनाई
रणबीर रोहिल्ला, श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जयंती 133वीं जयंती रविवार को ककरोड रोड़ स्थित पर अम्बेडकर भवन में दी अम्बेड़कर एजुकेशनल सोसाइटी के द्वारा मनाई गई। अवसर पर कार्यक्रम में पहुंचे विशिष्ठ अतिथियों ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर नमन करते हुए पुष्पाजंलि अर्पित की। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम भीम वंदना के बाद विधिवत जयंती शुभारंभ प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में मंच संचालन डा. सुभाष सिसोदिया ने किया।
मुख्य अतिथि सत्यप्रकाश जरावता विधायक पटौदी, चेयरमैन, एससी/एसटी/बीसी वर्ग कल्याण समिति हरियाणा विधानसभा, कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेशचंद्र भौरिया, सेवानिवृत्त अवर सचिव, विदेश मंत्रालय भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि डॉ. सतीश कुमार, आर्युवेदिक मेडिकल आफिसर, सुरेश कुमार सेवानिवृत्त डीआरओ, राजीव जैन मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी जयंती के अवसर विचार रखे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सत्यप्रकाश जरावता विधायक पटौदी ने कहा कि महापुरूष किसी भी एक जाति विशेष के नहीं होते, बल्कि पूरे समाज के लिए प्ररेणा के स्त्रोत होते हैं।
हमें ऐसे महापुरूषों की जयंतियां बड़ी धूमधाम के साथ मनानी चाहिए और हमें उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रण लेना चाहिए। अंबेडकर के जीवन चरित्र प्रकाश डालते हुए उपस्थितजनों को बाबा साहेब द्वारा बताये गए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भीमराव अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्र अपने आप आ जाता है। सारी दुनिया आमतौर पर उन्हें या तो भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका के नाते याद करती है या फिर भेदभाव वाली जाति व्यवस्था की प्रखर आलोचना करने और सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले योद्धा के तौर पर। इन दोनों ही रूपों में डा. साहेब की बेमिसाल भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।
संविधान निर्माता अंबेडकर की जयंती वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहेब की पहचान एक न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के रूप में होती है। भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने हमें समाज को मूल मंत्र दिया था शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो। बाबा साहेब एक समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित, बौद्ध अंदोलन को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। डा. अंबेडकर ने महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों की वकालत भी की। इसलिए हमें बाबा साहेब के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज में एक-दूसरे से बिना भेदभाव किए रहना चहिए। हमेशा भाईचारा बनाए रखने के प्रयास करने चाहिए।
बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलकर ही समता मूलक समाज की स्थापना की जा सकती है। बाबा साहेब को समानता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। बाबा साहेब जीवन पर्यन्त समाज को एक डोर में बांधने के लिए संकल्पित रहे। कार्यक्रम में सोसायटी के प्रधान सत्यवान भाटिया ने संस्था द्वारा किये गए कार्यों के बारे में उपस्थित जनसमूह को अवगत कराया। इस दौरान सोसायटी के उपप्रधान संजय कुमार अहलावत, सचिव जगमिन्दर सरोहा, सह सचिव जवाहर सिंह, कैशियर महेन्द्र पाल सिंह व कार्यकारिणी सदस्य सुल्तान सिंह, सुरेन्द्र कुमार, नरेन्द्र राणा, रविन्द्र भाटिया, कुलदीप राज, रघुबीर सिंह चौपड़ा, रामकुवांर कलसन, राजेश कटारिया, पवन वर्मा आदि भी उपस्थित रहे।