- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने बाबा साहेब को सूर्य बताया था
- अंबेडकर ने बिना किसी भेदभाव के महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार दिया : फौजी
रणबीर रोहिल्ला, श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। ककरोई रोड स्थित अंबेडकर भवन में शनिवार को एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री फौजी व हवा सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम में पहुंचने पर मुख्य अतिथि का अंबेडकर एजूकेशनल सोसायटी के पदाधिकारियों ने फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया गया। इससे पहले अंबेडकर भवन में स्थापित डा. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि मेरा नाम फौजी है और मैं हरियाणा का रहने वाला हूं और भारतीय बौद्ध महासभा में राष्ट्रीय संगठनकर्ता के रूप में काम करता हूं। उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल 2024 को हम बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की 133वीं जयंती मनाने जा रहे हैं। बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की 133वीं जयंती देश – विदेश में जयंती मनाई जा रही हैं। जयंती का जो उत्साह मुझे देखने को मिल रहा है, आप सब लोगों को सबसे पहले बधाई देना चाहूंगा।
संविधान की बात है मुख्य रूप से आप जानते हैं कि बाबा साहब ने जब संविधान बनाया हिंदू कोड बिल को संविधान में उसका जो प्रारूप है वह तैयार किया। इसलिए उन्होंने महसूस किया और इस देश में 50 प्रतिशत जनसंख्या महिलाओं की है। बिना किसी भेदभाव के महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार दिया। महिलाओं का अत्याचार होते थे। बाबा साहेब ने उनको रोकने का जो काम किया वह हिंदू कोड बिल को संविधान में शामिल किया। भारतीय का संविधान सभा अध्यक्ष रहे । इसका सारा श्रेय केवल बाबा साहब को जाता है।
बाबा साहेब ने भारत को श्रेष्ठ और लिखित संविधान दिया। अमेरिका का पूर्व राष्ट्रपति ने बाबा साहेब को सूर्य बताया था। बाबा साहब ने देश को इतना अच्छा संविधान दिया हमारे लिए गर्व की बात है। बाबा साहेब ने देश – विदेश में पढ़कर दर्जनों डिग्रियां हासिल की। विदेशी धरती पर उनको परिचय सिंबल आफ नालेज के नाम से जाना और पहचाना जाता है। बाबा साहेब सदैव इस देश को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया। इस भावना के साथ देश को हम जोड़ने का काम करेंगे और नफरत की जो आंधी है, उसको हम प्यार से बुझाने का काम करें। उन्होंने कहा कि डा. भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक सद्भाव और आपसी सम्मान की आवश्यकता पर बल देते हुए एक ऐसे समाज की वकालत की जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिले।
भीमराव अंबेडकर को कई सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों से बहादुरी से लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपना जीवन देश में जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने और समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। डा. भीमराव अंबेडकर ने समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिकता के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। इस दौरान अंबेडकर एजूकेशनल सोसायटी के पदाधिकारियों के अलावा अन्य लोग भी मौजूद रहे।