- विधायक ने नारियल तोडक़र किया रोड रोलर के संरक्षण कार्य का शुभारंभ
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। स्वर्णप्रस्थ संग्रहालय में मौजूद 300 वर्ष पुराने भाप से चलने वाले रोड रोलर पिछले 100 सालों से ठप्प पड़ा हुआ था जो अब जल्द ही छुक-छुक कर चलता हुआ नजर आएगा। जिसके संरक्षण का कार्य भारत सरकार में संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले आईजीएनसीए के माध्यम शुरु किया गया है। रविवार को सुबह राई विधायक एवं भाजपा प्रदेश महामंत्री मोहनलाल बड़ौली ब्यूटीफिकेशन सोसाइटी के निमंत्रण पर कोट मोहल्ला स्थित स्वर्णप्रस्थ संग्रहालय पहुंचे, जिनका सोसायटी के सदस्य सचिव राजेश कुमार खत्री ने स्वागत किया।
इस दौरान विधायक ने विधिपूर्वक रोड रोलर के संरक्षण कार्य का नारियल तोडक़र शुभारंभ किया। विधायक ने आईजीएनसीए में संरक्षण विभागाध्यक्ष डॉ. अंचल पांड्या और रोड रोलर को संरक्षण करने वाली टीम का धन्यवाद किया कि यह भारत सरकार का सराहनीय कदम है कि रोड रोलर को संरक्षित किया जा रहा है। मौके पर मौजूद विभाग के कर्मचारी विशाल ने विधायक को जानकारी दी कि सरकार चाहती हैं कि यह रोड रोलर जानता को समर्पित हो जिसके कंजरवेशन और रेस्टोरेशन का कार्य शुरू हुआ है, जिस पर करीब 7 से 8 लाख रुपए खर्च होंगे।
संपूर्ण कार्य को आगामी तीन माह से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा, जिसके देखरेख की संपूर्ण जिम्मेदारी उन पर रहेगी। इंजीनियर फारुख मौके पर रहकर कार्य को पूर्ण करेंगे। सोसाइटी के सदस्य सचिव राजेश कुमार खत्री ने बताया कि ब्यूटीफिकेशन सोसाइटी पिछले 24 सालों से सोनीपत ज़िला की ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के मिशन पर लगी हुई है। सबसे पहले जटवाड़ा क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत आने वाली 600 वर्ष पुरानी धरोहर खिजर मकबरे का जीर्णोद्धार कार्य करने के बाद वर्ष 2014 से संग्रहालय को तैयार किया जा रहा है। नेशनल हाईवे 44 से गुजरने वाले पर्यटक सोनीपत के महाभारत कालीन राज भी जानने के लिए इस तरफ आना पसंद करेंगे। जिससे प्राचीन नगर सोनीपत की भी पहचान देश दुनिया में विख्यात होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास है कि शहर के नगर निगम वार्ड एक में मौजूद हज़ारों वर्ष पुराने सुंदर सावरी सरोवर का भी संरक्षण किया जाए, जिसको लेकर वार्ड एक से पार्षद और विधायक कौशिक ने ब्यूटीफिकेशन सोसाइटी के निवेदन पर मौके का निरीक्षण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि यहां इस सरोवर से संबंधित पुरानी मान्यता है कि गिल्ली मिट्टी शरीर पर मलने के बाद श्रद्धा की डुबकी लगाने से रोग ठीक हो जाते थे। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि शहर में चार पांडव कालीन कुएं मौजूद थे, तीन कुएं अपना अस्तित्व समाप्त कर चुके हैं, लेकिन एक कुआं कामी रोड स्थित रामलीला मैदान के पास मौजूद जिसको आज भी पांडव कालीन कुएं के नाम से जानते हैं। जिला प्रशासन के नेतृत्व में वहां की पेमाइड का कार्य भी पूर्ण हो चुका है, इसके संरक्षण का कार्य भी जल्द शुरू होने वाला है।