- 2030 में विश्वभर में सृजित होंगी तीन करोड़ नौकरियां जिनमें दो करोड़ नौकरी लेंगे भारतीय
- नैतिक मूल्यों व सामाजिक दायित्व के समावेश के साथ शिक्षा का न हो व्यावसायीकरण
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शिक्षा में नैतिक मूल्यों के साथ सामाजिक दायित्व के समावेश की आवश्यकता जताई। साथ ही उन्होंने बल दिया कि शिक्षा का व्यावसायीकरण नहीं होना चाहिए। व्यावसायीकरण से शिक्षा आम जन के सामथ्र्य में नहीं रहती। शिक्षा का व्यावसायीकरण दुखद है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय गुरूवार को सोनीपत में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन किया है।
नई शिक्षा नीति को देश में लागू किया जाएगा जो एक बड़ी गेम चेंजर साबित होगी। देश में हर साल लाखों विद्यार्थी डिग्री हासिल करते हैं। शिक्षा आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए। शिक्षा उद्देश्यपरक होनी चाहिए। इस दिशा में नई शिक्षा नीति लाई गई है, जिसमें नैतिक मूल्यों के साथ वैज्ञानिकता भी है। नई शिक्षा नीति में व्यवस्था है कि एक साथ दो डिग्री की जा सकती है। साथ ही विषयों में बदलाव की सुविधा भी रहेगी। नई शिक्षा नीति युवाओं को नौकरी मांगने वाला नहीं अपितु रोजगार देने वाला बनायेगी।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उनके जीवन को नई दिशा देने वाले प्रेरक व्यक्तित्व डा. मनोज शिंदे का स्मरण करते हुए अपने जीवन में हुए परिवर्तन की कहानी भी सुनाई। डा. शिंदे ने उन्हें समाज के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहन दिया, जिसके चलते उन्होंने बैंक की नौकरी भी नहीं की। अपितु 1968 में घर त्याग कर समाजसेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि वे बैंक की नौकरी करते तो आज राज्यपाल के रूप में यहां खड़े न होते। इसलिए युवाओं को पैसे की चिंता नहीं करनी चाहिए। पैसा आता-जाता रहता है। हमें ज्ञान अर्जित करना चाहिए। ज्ञान की शक्ति को पहचानना चाहिए। तकनीक व नवाचार के साथ आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 में विश्व में तीन करोड़ नौकरियों का सृजन होगा, जिसमें से नवीनतम तकनीकों से लैस भारतीय युवा दो करोड़ नौकरी हासिल करेंगे।