श्याम वशिष्ठ, जींद। प्रतिभा किसी बंदिश की मोहताज नहीं होती। इस कहावत को चरितार्थ किया है जिला जींद में नरवाना खण्ड के आरोही माडल स्कूल नारायणगढ़ की लाइब्रेरियन एवं नारनौंद क्षेत्र के गांव नाडा़ की बहू दिव्यांग एथलैटिक्स खिलाड़ी कुसुम पांचाल ने। इस प्रतिभावान दिव्यांग खिलाड़ी कुसुम ने गोवा में आयोजित 22वीं राष्ट्रीय पैरा एथलैटिक्स चैम्पियनशिप में रजत और कास्य पदक अपने नाम किया।
दिव्यांग खिलाड़ी कुसुम की लगातार उपलब्धियों पर लोक सम्पर्क विभाग के डीआईपीआरओ रिटायर्ड सुरेन्द्र कुमार वर्मा कोथ, कोच संजय पांचाल, वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग गोल्ड मेडल विजेता प्रदीप कापडो़, अन्तर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल रजत पदक विजेता नरेश कुमार सन्धू एवं कुलदीप सिंह श्योराण कोथकलां, नाडा़ की महिला सरपंच समिता रानी धर्मपत्नी सुधीर, पंचायत समिति सदस्य प्रवीण बैनिवाल, कैप्टन रमेश व सुरेश जांगडा़, पूर्व जिला पार्षद राजेश, डा मनबीर बैनीवाल, संजय फौजी, रिटायर्ड थानेदार बलराज बैनिवाल, उमेद जांगडा़, रिटायर्ड कर्मचारी नेता बलराज सन्धू कोथकलां, समाज सेवी रमेश श्योराण, रघबीर पहलवान, नवीन व सुरेन्द्र पहलवान, राखी बारहा कल्याण मंच, पिछडा़ वर्ग जागृति मंच नारनौंद समेत अन्य संस्थाओं व ग्रामीणों एवं खेल प्रेमियों ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। इसके लिए कुसुम द्वारा निरन्तर पूर्ण अभ्यास के साथ तैयारियां की गई। इससे पहले कुसुम ने दिल्ली में गत दिसम्बर में आयोजित प्रथम इंडिया पैरा एथलैटिक्स गेम्स में डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीता था। इससे पहले चीन में हुए एशियन पैरा गेम्स 2023 में कुसुम भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं l
कोच संजय पांचाल का कहना है कि होनहार दिव्यांग खिलाड़ी कुसुम का वास्ता मात्र किताबों से ही नहीं है यह शारीरिक रूप से 80 प्रतिशत विकलांग होते हुए भी राष्ट्रीय एथलेटिक्स खेलों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए नित नई सफलता के आयाम गढ़ रही हैं। कुसुम का जन्म जिला रोहतक के गांव डोभ में हुआ। उनका विवाह हिसार के गांव नाड़ा के संजय पांचाल से हुआ। सौभाग्य से उनके पति संजय पांचाल ही उनके एथलेटिक्स कोच भी हैं। वर्ष 2013 में उनका नरवाना खण्ड के आरोही मॉडल स्कूल नारायणगढ़ में लाइब्रेरियन के पद पर चयन हुआ। परंतु उसके पश्चात भी शारीरिक रूप से 80 प्रतिशत विकलांग होते हुए भी कुसुम ने खेल के मैदान में अपना सफर जारी रखा तथा राज्य, राष्ट्रीय एवं इंटरनेशनल स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वर्ष 2016 में अपने विवाह के पश्चात जब ससुराल आई तो उनके पति ने उनका भरपूर सहयोग किया तथा पति के साथ-साथ एक कोच का दायित्व निभाते हुए खेल के मैदान में उनकी प्रतिभा को निखारा।
परिणाम स्वरूप 2016 से 2024 के विभिन्न प्रतियोगिताओं की उपलब्धियों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डिस्कस थ्रो में एक गोल्ड मेडल व एक ब्रान्ज मेडल, राष्ट्रीय स्तर पर डिस्कस थ्रो एवं शाटपुट थ्रो में 6 गोल्ड मेडल व 3 रजत मेडल व 2 ब्रान्ज मेडल, राज्य स्तर पर डिस्कस थ्रो में 2 गोल्ड मेडल, शाटपुट थ्रो में एक गोल्ड मेडल जीतकर अपने क्षेत्र समेत पूरे हरियाणा का नाम रोशन किया गया है। उसकी मां उसे गोद में बिठाकर स्कूल छोड़कर आती थी, परंतु अपनी इस विकलांगता को कुसुम ने अपनी सफलता के आड़े कभी नहीं आने दिया। उसने हमेशा हर बार नए सिरे से और मजबूत होकर परिस्थितियों को हराया है। वैसे तो लड़कियां कभी रक्तदान नहीं करती। परंतु कुसुम ने अपने कॉलेज लाइफ में तीन बार रक्तदान किया है। गांव डोभ की सबसे अधिक पढ़ी-लिखी बेटी एवं नाडा़ में ब्याही संजय पांचाल कोच की धर्मपत्नी कुसुम की इन सभी उपलब्धियों को देखते हुए पांचाल परिवार एवं गांव के लोगों ने उसका उत्साह बढ़ाया।