- नई शिक्षा नीति रद्द करने को लेकर अध्यापक संघ ने सौंपा ज्ञापन
- अध्यापकों पर स्कूलों में गैर शैक्षणिक कार्य थोप रही है सरकार
- हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपा मांग पत्र
सोनीपत। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ( संबंध सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा) ने खंड शिक्षा अधिकारी सोनीपत को प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसकी अध्यक्षता खंड सोनीपत प्रधान ऋषिकेश ने की तथा संचालन जिला प्रधान जोगेंद्र सिंह ने किया। उपस्थित अध्यापकों को संबोधित करते हुए खंड प्रधान ऋषिकेश ने कहा कि सरकार अध्यापकों पर स्कूलों में गैर शैक्षणिक कार्य थोप रही है। अध्यापकों को कक्षा से दूर रखा जा रहा है, शिक्षा का अधिकार लागू होने पर भी मॉडल संस्कृति स्कूलों में फीस ले रही है, दूसरी ओर सरकार चिराग योजना लेकर आ रही है।
जिसमें एक लाख अस्सी हजार से कम आमदनी वाले परिवारों के बच्चों के लिए प्रावधान है कि सरकारी स्कूल का एसएलसी लेकर आप प्राइवेट में पढ़िए, फीस सरकार देगी। जिससे सार्वजनिक शिक्षा का यह ढांचा बहुत जल्द ही धराशाई हो जाएगा, जबकि सर्वविदित है कि अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे ही सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। जिला प्रधान जोगिंदर सिंह ने कहा वैसे तो सरकारें जन कल्याणकारी भावनाओं के क्रियान्वयन के लिए होती है, लेकिन वर्तमान दौर में सरकारों का चरित्र सार्वजनिक महकमों को बंद करना, पूंजीपतियों के हित में पॉलिसी निर्धारित करना और सरकारी धन को अपने चहेतों को लुटाना रह गया है। शिक्षा विभाग भी इससे अछूता नहीं रहा है। वर्तमान सरकार पूंजीपतियों के हित में सार्वजनिक शिक्षा को निजी हाथों में सौंपने की योजना बना रही है। दिनेश छिक्कारा ने कहा नई शिक्षा नीति 2020 निजीकरण को बढ़ावा देने वाली नीति है।
उसी नीति के तहत ट्रांसफर ड्राइव में मर्जीकरण के नाम पर 4801 स्कूलों को बंद कर दिया गया। मौलिक मुख्य अध्यापकों के हजारों पद समाप्त कर दिए गए। अब भी रैशनलाइजेशन के नाम पर प्राथमिक विद्यालयों को लार्ज स्केल पर मर्जीकरण के नाम पर बंद करने की योजना सरकार बना रही है, जिसके खिलाफ संघ पिछले 24 अप्रैल से यमुनानगर में क्रमिक अनशन पर है। मगर सरकार, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग उक्त आंदोलन की अनदेखी कर रहा है, जो उसे महंगी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार अनेकों प्रकार के हथकंडे अपनाकर इस क्रमिक अनशन को समाप्त करने पर तुली हुई है, जबकि अध्यापक सार्वजनिक शिक्षा के इस ढांचे को बचाने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। अध्यापक संघ के मांग पत्र में शामिल अन्य मांगों को हल करवाना शामिल हैं, जो जनशिक्षा को बचाने का जनांदोलन है।