रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। श्री एसएस जैन सभा गुड़मंडी के तत्वाधान में चातुर्मास के लिए विराजमान ओजस्वी वक्ता रमेश मुनि महाराज, मुकेश मुनि महाराज, तपस्वी मुदित मुनि महाराज, प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए रमेश मुनि महाराज ने कहा कि जीवन में थोड़ा दुख भी जरूरी है, जैसे कोई मीठा ही मीठा खाए तो खाते-खाते ऊब हो जाता है। मीठा के साथ बीच में थोड़ा नमकीन जरूरी है। वैसे ही सुख के साथ बीच में थोड़ा दु:ख जरूरी है। दरअसल दुख मनुष्य के ही कृत कर्मों का फल है, जो रोकर भोगता है वह अज्ञानी है और जो हंसकर भोगता है वह ज्ञानी है।
सुखी जीवन का राज है कि जो तुम्हारे पास है उसका आनंद लो, जो नहीं है उसकी चिंता मत करो। तुम्हारी जेब में 90 रुपए है तो उसका सुख भोगो 10 रुपए कम है, इसका दुख मत करो 100 रुपए के चक्कर में मत पड़ो, क्योंकि पूरे 100 कभी नहीं होते।
मुकेश मुनि ने कहा कि मनुष्य को मन को समझाने का प्रयास करना चाहिए। मन का हमारे अस्तित्व के साथ गहरा संबंध है, मन शांत है तो अच्छे कार्य होंगे, मन भटकता है, अर्थात मन अशांत है तो बने हुए कार्य भी बिगड़ सकते हैं। मन को नियंत्रण में रखने से शांति का अनुभव होता है। जैन धर्म में सौलवें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है, अगर कोई दुख तकलीफ है तो सच्चे मन से शुद्ध हृदय से भगवान शांतिनाथ का जाप करने से शरीर में आधी व्याधि सब शांत हो जाते हैं। इस अवसर पर विजय वर्मा, जयपाल जैन, संतोष जैन, सरोज जैन, तिलोक चंद जैन, नरेश जैन, जयकुवार जैन, श्रवण जैन, मामन चंद जैन, सुमेर चंद जैन, बसंत जैन आदि उपस्थित थे।