- अस्पताल के डाक्टरों पर मृतक का लाखों रुपए का बिल बनाने का लगाया आरोप
- मरीज को उच्च रक्तचाप की शिकायत पर कराया था दाखिल
सोनीपत। सोनीपत के शहर के दिल्ली रोड पर फिम्स अस्पताल आए दिन रोगियों का इलाज करने के मामले में सुर्खियों बना हुआ है। फिम्स अस्पताल में गत दिनों इलाज के लिए गांव राई निवासी उच्च रक्तचाप पीड़ित होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान उच्च रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति की मौत होने के बाद मृतक के परिवार के सदस्यों व ग्रामीणों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
इस संबंध में परिजनों का कहना है कि उनके मरीज की मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए दाखिल रखा ओर लाखों रुपये का बिल बना दिया। परिवार के सदस्यों ने मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया। इस मामले में अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने मीडिया से बात नहीं की। सोनीपत जिले के गांव राई निवासी धर्मवीर के परिजनों ने 10 दिन पहले धर्मवीर को उच्च रक्तचाप की शिकायत होने पर सोनीपत-बहालगढ़ रोड पर स्थित फिम्स अस्पताल में दाखिल करवाया था। उसके बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनके दिमाग की नस फट चुकी है, ऑपरेशन के लिए 4 लाख रुपए जमा कराने को बोला ओर कहा कि ऑपरेशन के बाद धर्मवीर भी ठीक हो जाएगा।
परिजनों ने आरोप लगाया कि इलाज के दौरान परिवार के किसी भी सदस्य को धर्मवीर से मिलने नहीं दिया गया। परिवार के सदस्यों को शक हुआ ओर उन्होंने मरीज को रेफर करने की बात कही। परिवार का आरोप है कि डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है। जिसके बाद परिवार के सदस्य और ग्रामीणों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया ओर अस्पताल के मेन गेट के सामने धरने पर बैठ गए। परिवार के सदस्यों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि 10 दिन पहले जब धर्मवीर को अस्पताल में दाखिल करवाया गया तो डॉक्टरों ने कोई जानकारी नहीं दी थी।
बाद में उन्हें जानकारी दी कि उनके दिमाग की नस फट चुकी है और ऑपरेशन करना जरूरी है। जिसके बाद ऑपरेशन करवाया गया, जब परिवार के सदस्य मिलने के लिए जाते थे तो उन्हें मिलने नहीं दिया जाता था। परिवार का आरोप है कि उनके मरीज की पहले ही मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर लाखों रुपए का बिल बना दिया। हॉस्पिटल प्रशासन ने पहले शव देने से इंकार कर दिया। जब गांव के मौजिज व्यक्तियों ने अस्पताल प्रशासन से बात की ओर ग्रामीण व्यक्ति के शव को लेकर चले गए। इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। अस्पताल प्रबंधक ने पीआरओ के माध्यम से अपना पक्ष रखा कि पैसों का मामला था, जो सुलझा लिया गया है।