स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर
Posted on December 8, 2022
नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी देखते ही बनती
ऋषिकेश नीलकंठ महादेव मंदिर में भक्तों ने किया जलाभिषेक
पूर्णिमा, महाशिव रात्रि, शिवरात्रि एवं अन्य धामिर्क त्यौहार पर भक्त करते हैं जलाभिषेक
सोनीपत24, ब्यूरो।ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुन्द्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय भगवान शिव की पत्नी, माता पार्वती ने उनका गला दबाया, जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है, जहां भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनी की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 30-35 किलोमीटर दूरी पर है। नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी देखते ही बनती है। अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है। सामने की पहाड़ी पर शिव की पत्नी, मां पार्वती जी का मंदिर है। नीलकंठ मंदिर भारत में स्थित हिन्दू धर्म के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। आपको बता दें कि यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हरिद्वार में स्वर्ग आश्रम के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है।
भक्त ऋषिकेश से भी इस मंदिर के लिए यात्रा कर सकते हैं। आपको बतां दें कि मंदिर का रास्ता हरे-भरे पहाड़ियों और नदियों से घिरा हुआ है, जो कुछ सबसे खूबसूरत दृश्य प्रदान करता है। आपको बता दें कि बहुत से श्रद्धालु ट्रेकिंग करके इस मंदिर में आते हैं, जिसमें ऋषिकेश से जाने में लगभग 4 घंटे लगते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और शक्तिशाली देवता माना जाता है। इस मंदिर के पीछे एक पुरानी कथा भी है, जिसके बारे में जानने में लोग बेहद दिलचस्पी रखते हैं। जैसा कि हम आपको बता चुकें हैं कि नीलकंठ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक पौराणिक कथा है। पौराणिक कथा की माने तो एक बार भगवान शिव ने ‘सागर मंथन’ (समुद्र मंथन) से प्रकट हुए विष को पी लिया था। बताया जाता है कि यह वही जगह है जहां पर भगवान शिव ने विष पिया था।
जब शिव ने विष पीने पर भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और उसी समय से भगवान शिव को ‘नीलकंठ’ (नीला कंठ वाला) कहा जाने लगा। मणिकूट, विष्णुकूट और ब्रह्मकूट की पहाड़ियों से घिरा, नीलकंठ मंदिर 1330 मीटर की ऊंचाई स्थित है। यह रास्ता बेहद रोमांचकारी और पर्यटकों बेहद शानदार अनुभव देता है। यहां पहाड़ी के ऊपर खड़ी और संकरी सड़कें है, जहां नदी बहती है। नीलकंठ मंदिर उत्तरांचल की सुरम्य पहाड़ियों के बीच मधुमती और पंकजा नदियों के संगम पर स्थित है। मंदिर परिसर को एक प्राकृतिक झरना भी है, जहाँ श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। मंदिर के मुख्य मंदिर में एक शिव लिंगम है।
मंदिर की आध्यात्मिक आभा लोगों के दिलों में एक भक्ति भावना पैदा करती है। यहां पर आने वाले भक्त भगवान को नारियल, फूल, दूध, शहद, फल और जल का चढ़ावा चढ़ाते हैं। नीलकंठ मंदिर हिंदू धर्म का एक बेहद प्रसिद्ध मंदिर है ऋषिकेश से इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आप ट्रेकिंग कर सकते हैं और आसपास के आकर्षक दृश्यों का मजा ले सकते हैं। नीलकंठ मंदिर एक बेहद खास धार्मिक स्थल है, क्योंकि इस मंदिर का निर्माण उस समय किया गया था जब किसी भी संरचना का निर्माण करने के लिए कोई तकनीक उपलब्ध नहीं थी, जिससे सही अनुपात का पता लगाया जा सके।