- डॉ. बाबा साहेब की बेमिसाल भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता : राजीव जैन
- बाबा साहेब स्पष्ट वक्ता दूरदर्शी एवं सच्चे राष्ट्रवादी थे : एनआर फूले
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। दी अम्बेड़कर एजुकेशनल सोसायटी द्वारा 73वां संविधान दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हरियाणा के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन, विशिष्ट अतिथि उपआबाकारी एवं कराधान आयुक्त (जीएसटी) एनआर फूले, मेहरसिंह जालिया, आयकर अधिकारी (भारत सरकार) ओमप्रकाश ने शिरकत की। दी अम्बेडकर एजुकेशनल सोसायटी द्वारा स्थानीय ककरोई रोड़ डॉ. अम्बेडकर भवन के प्रांगण में 73वें संविधान दिवस समारोह के अवसर पर डा. भीमराव अम्बेडकार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि करते हुए उन्हें नमन किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में नवनिर्वाचित जिला पार्षद, ब्लाक समिति सदस्य, सरपंच-पंच बड़ी संख्या में पहुंचे। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से श्रीभगवान दीक्षित ने हरियाणा की संस्कृति से अवगत करवाते हुए लोगों तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। मंच का सफल संचालन डा. अतर सिंह कटारिया ने किया। कार्यक्रम में पहुंचे नवनिर्वाचित जिला पार्षद, ब्लाक समिति सदस्य, सरपंच तथा समाज में विशिष्ठ कार्यक्रम करने वाले को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मंदरसिंह चालिया ने कहा कि बाबा साहेब डा. अंबेडकर एक समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन का प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया।
डा. अम्बेडकर ने महिलओं और मजदूरों के अधिकारों की वकालत की। भारत रत्न डा. भीमराव अम्बेडकर का कहना था कि शिक्षित बनो संगठित हो और संघर्घ करों के मूल मंत्र को याद करके हमेशा आगे बढ़ना चाहिए। इस अवसर पर ओमप्रकाश ने कहा कि हमें बाबा साहेब के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज में एक-दूसरे से बिना भेदभाव किए रहना चाहिए। बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलकर ही समता मूलक समाज की स्थापना की जा सकती है। बाबा को समानता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। बाबा साहेब जीवन पर्यन्त समाज को एक सूत्र में बांधन के लिए संकल्पित रहे। इस अवसर पर प्रधान सत्यवान भाटिया ने संस्था द्वारा किये गए कार्यों के बारे उपस्थित जनसमूह को अवगत करवाया गया।
संस्था की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी आने वाले समय में नई भूमि की तलाश करने के लिए प्रयासरत है। इस अवसर पर एनआर फले ने कहा कि डा. अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्र अपने आप आ जाता है। सारी दुनिया आमतौर पर उन्हें या तो भारतीय संविधान के निर्माण भूमिका के नाते याद करती है या फिर भेदभाव वाली जाति व्यवस्था की पुखर आलोचना करने और सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले योद्धा रहे हैं। इन दोनों ही रूपों में डा. साहेब की बेमिसाल भूमिका को कम नहीं आका जा सकता। इस अवसर पर पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने कहा कि बाबा साहब स्पष्ट वक्ता दुरदर्शी एवं सच्चे राष्ट्रवादी थे। बाबा साहब के नाम पर राजनीति करने की बजाया उनके विचारों को आत्मसात करके समरस समाज की संकल्पना को साकार करने की आवश्यकता है।
जाति भेद एवं छुआछात के दंश को झेलने के बाद साहब के हाथ में कलम आते ही एक ही झटके में समाज की बुराइयों को नेस्तेनाबूद करके सामाजिक सदभावना की नींव रखी। बाबा साहब स्पष्ट वक्ता दूरदर्शी एवं सच्चे राष्ट्रवादी थे, तभी तो उन्होंने 1952 में सुरक्षा परिषद की सदस्यता न मिलने पर पंडित नेहरू की आलोचना की और 1953 में चीन द्वारा तिब्बत में किए जा रहे कब्जे से आगाह किया। उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में बाबा साहब जैसे राजनेताओं की आवश्यकता है, तभी देश की एकता अखंडता कायम रह सकती है। जब में पहली बार इस संस्था के प्रांगण में आया था, जब भवन बहुत छोटा था और आज दी अम्बेडकर एजुकेशनल सोसायटी की वर्तमान कार्यकारिणी के प्रयास से देखने लायक बहुत बड़ा भवन बन चुका है।
संस्थाओं में चुनाव नहीं होना चाहिए। संस्थानों में चुनाव की राजनातिक संस्थाओं को खत्म कर देती है। इस मौके संस्था के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे। इस अवसर पर कृष्ण लाल पंवार, सांसद राज्य सभा के दिल्ली नगर निगम चुनाव में व्यस्थ होने के कारण कार्यक्रम में न पहुंच पाने की वजह से कृष्ण लाल पंवार की ओर से राजीव जैन 5 लाख रूपये देने की घोषणा की। इस अवसर पर संजय कुमार अहलावत, उपाध्यक्ष, जगमिन्द्र सिंह सरोहा, सचिव, जवाहर सिंह, सहसचिव, महेन्द्र पाल सिंह, कोषाध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्य जोगेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र कुमार, सुल्तान सिंह, रविन्द्र कुमार भाटिया, कुलदीप राज, नरेन्द्र राणा आदि उपस्थित रहें।