सूर्यग्रहण के विपरीत चंद्रग्रहण अधिक क्षेत्र में दिखाई देता
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के राज्य संयोजक कृष्ण वत्स ने कहा कि सूर्यग्रहण के पंद्रह दिन बाद देव दीपावली आठ नवंबर को इस साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। इससे पहले इस वर्ष 16 मई को आंशिक चंद्र ग्रहण की स्थिति बनी थी। चंद्रग्रहण की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है।
कृष्ण वत्स ने कहा कि पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य की तरह काले रंग का नहीं होता बल्कि लाल रंग का होता है, इसलिए इसे रेड मून या ब्लड मून कहते हैं। ऐसा पृथ्वी के वायुमंडल के कारण होता है, क्योंकि चंद्रमा तक पहुंचने वाली रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से हुए गुजरते हुए बिखर जाती है, जिससे चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है। ये वही प्रभाव है जिसके कारण सूर्यास्त और सूर्योदय के समय आकाश लाल रंग का होता है। सूर्यग्रहण के विपरीत चंद्रग्रहण अधिक क्षेत्र में दिखाई देता है। चंद्रग्रहण के वक्त जहां भी रात होती है, वहां चंद्रग्रहण दिखाई देता है। कृष्ण वत्स ने कहा कि पूर्ण चंद्र ग्रहण की अवधि काफी लंबी होती है जो लगभग दो घंटे चल सकता है।
आठ नवंबर को होने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण को देश के पूर्वी भाग में देखा जा सकेगा, जबकि उत्तरी भारत में यह आंशिक दिखाई देगा। ग्रहण दोपहर बाद 2.39 बजे शुरु होगा व 4.29 बजे पूरी तरह पृथ्वी की छाया के गर्भ में होगा। उस समय चंद्रमा उत्तरी भारत में नहीं दिखाई देगा, बल्कि 5.31 पर चंद्रोदय का समय है, उसके बाद हम आंशिक चंद्रग्रहण देख पायेंगे। कृष्ण वत्स ने कहा कि सूर्यग्रहण के विपरीत चंद्रग्रहण को बिना किसी सुरक्षा या विशेष सावधानियों के नंगी आंखों से देखा जा सकता है। अगला भारत में दिखाई देने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को होगा। ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो एक सुंदर नजारा प्रस्तुत करते हैं। एक साल में कम से कम दो और अधिकतम पांच चंद्रग्रहण हो सकते हैं। दूसरे ग्रहों पर भी ग्रहण की स्थिति देखी गई है जिससे हमें सौरमंडल की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती हैं।