हरियाणा में तमाम विधायकों एवं मंत्रियों के आवासों की जाएगी घेराबंदी
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन हरियाणा सीटू की महासचिव शकुंतला एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन हरियाणा एआईयूटीयूसी की राज्य अध्यक्ष विमला नैन ने कहा कि हरियाणा सरकार की हठधर्मिता एवं वादाखिलाफी के खिलाफ आंगनवाड़ी वर्करों की हड़ताल 25 जनवरी तक बढ़ा दी गई है। अगर सरकार ने बातचीत से समस्याओं का समाधान नहीं किया तो उपायुक्त कार्यालय की बजाय, हरियाणा के तमाम मंत्रियों एवं विधायकों के आवासों की घेराबंदी की जाएगी। जिसके लिए सोमवार को पीओ कार्यालय का घेराव कर 25 जनवरी तक हड़ताल बढ़ाने का नोटिस तालमेल कमेटी के आह्वान पर दिया जाएगा और मंगलवार को अग्रसेन चौक पर हजारों आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स इकट्ठा होंगी।
वहां से राई विधायक मोहनलाल बडोली के आवास की घेराबंदी की जाएगी। वे उपायुक्त कार्यालय पर हड़ताली आंगनवाड़ी वर्करों-हैल्परों, कार्यकर्ता-सहायिकाओं को संबोधित कर रही थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक आंदोलन जारी रहेगा, तब तक मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार अपने द्वारा 2018 में किए गए समझौते अनुसार न्यूनतम वेतन दिया जाए। वहीं प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा अनुसार वर्कर को 15 सो रुपए हेल्पर को 750 रूपये मानदेय में बढ़ोतरी 2018 से एरियर समेत दिया जाए, वरना आंदोलन लगातार जारी रहेगा। छंट्टनी के नोटिसों से आंगनवाड़ी वर्कर्स डरने वाली नहीं है। हर दमन का मुकाबला दिल खोल कर किया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों को सीटू के जिला प्रधान आनंद शर्मा, सचिव सुनीता, एआईयूडीयूसी के राज्य सचिव हरि प्रकाश, प्रताप सिंह, सेवानंद, अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा के उपाध्यक्ष श्रद्धानंद सोलंकी, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के लीगल सेल चेयरमैन ब्रह्म सिंह दहिया, रिटायर्ड कर्मचारी संघ जिला सोनीपत के सचिव राजपाल सिंह, गुलिया मास्टर, सीमा, गीता नागर, उषा रानी, सोना देवी, सुमन, पुजा, सोनी, विमला, कमलेश, अनीता, रेखा आदि ने भी संबोधित करते हुए राज्य सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आंगनवाड़ी में कार्यरत वर्करों एवं हेल्परों के रूप में महिला समझ कर कमजोर समझने की भूल ना करें।
आंगनवाड़ी की वर्करों ने आरपार के आंदोलन के लिए कमर कस ली है। वे किसी भी सूरत में पीछे हटने वाले नहीं हैं। छट्टंनी नोटिस दो, छट्टनी करो, जब तक आंदोलन जारी रहेगा, जब तक 2018 में किए गए समझौते अनुसार वर्कर मानते हुए न्यूनतम वेतन लागू नहीं किया जाता।
प्रधानमंत्री द्वारा की गई 2018 की घोषणा अनुसार वर्कर को 1500, हेल्पर को 750 लागू नहीं किया जाता। पोशन ट्रैकर बंद हो, सेंटरों का किराया बढ़ाया जाए, वर्दी भत्ता बढ़ाया जाए, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाए, ये जो महिला समझकर फ्री में काम लेने की जो प्रवृत्ति है। इस पर रोक लगाई जाए, न्यूनतम वेतन का मतलब है, इससे कम कहीं नहीं दिया जा सकता। न्यूनतम वेतन अधिनियम कानून है, लेकिन बड़े शर्म की बात है केंद्र सरकार अपने ही केंद्र के विभाग में कार्यरत आंगनवाड़ी वर्करों को न्यूनतम वेतन देने से पीछे हट रही है। जिसकी कठोर शब्दों में निंदा करते हुए आंदोलन तेज करने का आह्वान किया है और दमन का रास्ता अपनाया तो तमाम ट्रेड यूनियन कर्मचारी फेडरेशन कर्मचारी संगठन आंदोलन में कूद पड़े।