-2016 के नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वापस , लेकिन आय सीमा न बढ़ाने पर जताया रोष
हिसार। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी क्रीमिलेयर को लेकर गत 17 अगस्त 2016 व 2018 की नोटिफिकेशन को वापस ले लिया है। लेकिन इसके साथ ही क्रीमिलेयर की सीमा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित आठ लाख की बजाए छह लाख रूपए करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे ओबीसी वर्ग के हितों पर कुठाराघात करार दिया है। ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फैडरेशन के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि गत 24 अगस्त को हरियाणा सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए ओबीसी समाज के हक में फैसला सुनाया था। इस फैसले के तहत कोर्ट ने हरियाणा सरकार के गत 17 अगस्त 2016 व 28.8. 2018 के नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए आगामी तीन महीनों में दोबारा नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए थे।
विदित रहे कि सरकार की ओर से क्रीमिलेयर की सीमा निर्धारण करने के लिए उक्त नोटिफिकेशन जारी किया था। सरकार के इस नोटिफिकेशन में कर्मचारियों के वेतन व कृषि कार्य को शामिल कर दिया गया था। इससे एक चपरासी के बच्चे को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था, जबकि क्रीमिलेयर को लेकर 1992 में इंद्रा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया था, जो पूरे देश में लागू था। समाज के लोग पिछले लंबे समय से सरकार से यह नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग कर रहे थे, वहीं सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत याचिकायें दायर की गई थी।
उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने उक्त नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए इंद्रा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले के अनुसार तीन महीने में दोबारा नया नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए थे। एडवोकेट खोवाल ने बताया कि अब सरकार ने उक्त नोटिफिकेशन को वापस तो ले लिया है, लेकिन क्रीमिलेयर की सीमा केंद्र सरकार के अनुरूप आठ लाख करने की बजाए छह लाख रूपए ही रखी है। इसके तहत अब हरियाणा के ओबीसी वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों को केंद्र व प्रदेश सरकार की नौकरियों या शिक्षण संस्थाओं में एडमिशन के लिए अलग-अलग प्रमाण पत्र बनवाने पड़ेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रदेश सरकार हर बार ओबीसी वर्ग के हितों के साथ कुठाराघात क्यों कर रही है।
जब पूर्व की सरकारें केंद्र सरकार के नियमों की पालना करती रही है तो अब बीजेपी की प्रदेश सरकार बीजेपी की केंद्र सरकार के नियमों को ही मानने में आनाकानी कर रही है। यह सीधे तौर पर ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है और इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रदेश सरकार ने ओबीसी क्रीमिलेयर की आय सीमा केंद्र सरकार के समान आठ लाख नहीं की तो इसके विरोध में ओबीसी वर्ग को एकजुट करते हुए व्यापक स्तर पर जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार के इस फैसले को कोर्ट में भी चुनौती दी जाएगी।