- महर्षि वाल्मीकि ने दुनिया व देश को नई राह दिखाई : अशोक बिरका
भारत ऋषि मुनियों, महापुरुषों एवं विचारकों का देश - मेयर निखिल मदान ने रिबन काटकर किया शोभा यात्रा रवाना
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। महर्षि वाल्मीकि आश्रम ट्रस्ट ककरोई रोड पर बुधवार को जिलास्तरीय महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर नगर निगम मेयर निखिल मदान ने शिरकत की। इस दौरान ककरोई रोड महर्षि वाल्मीकि आश्रम से बैंड-बाजों के साथ झांकियों के रूप में शोभा यात्रा निकाली। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि सर्वसमाज के पथ प्रदर्शक हैं और उन्होंने जो शिक्षाएं दी वह आज भी प्रासांगिक हैं। मेयर मदान ने कहा कि वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी सभी घटनाओं को जोडकऱ एक अद्भुत ग्रन्थ ‘संपूर्ण रामायण’ की रचना की, जिसको आज लोग बड़े आदरभाव से देखते, पढ़ते और सुनते हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने अपने जीवन में जो संदेश दिए और भावी पीढिय़ां उनके संदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करे। इससे पहले मेयर निखिल मदान ने महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा पर पुष्प भी अर्पित किए और भगवान वाल्मीकि को प्रसाद का भोग लगाया।
उन्होंने कहा कि भारत ऋषि मुनियों, महापुरुषों एवं विचारकों का देश है, जिन्होंने दुनिया व देश को नई राह दिखाई है। भारत जैसे देश में विज्ञान, अर्थशास्त्र व अन्य क्षेत्रों के विचारक रहे हैं और नोबल पुरस्कार पाएं है। उन्होंने कहा कि उनके बारे में जानकारी हासिल कर उनके पदचिन्हों पर चलकर देश आगे बढ़ रहा है। हम सब भी उनका अनुसरण कर आगे बढ सकते हैं। महर्षि वाल्मीकि किसी जाति अथवा समुदाय के नहीं बल्कि वे समस्त मानवता के मार्ग दर्शक थे। उनके पदचिह्नों पर चलकर मनुष्य अपना जीवन उज्जवल बना सकता है। महर्षि वाल्मीकि को आदि महाकवि कहा जाता है। मान्यता है कि उन्हें ब्रह्मा का अवतार माना गया है। तीनों युगों के महर्षि भी उन्हें कहा जाता है। भगवान श्रीराम को विष्णु का अवतार कहा गया है, उनके चरित्र और घटनाओं का वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में मिलती है, रामायण जीवन जीने की कला सिखाती है।
अशोक कुमार बिरला ने कहा कि श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से परिचित करवाया है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम को एक साधारण मानव के रुप में प्रस्तुत किया गया, एक ऐसे मानव जिन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति के समक्ष एक आदर्श स्थापित किया है। इसलिए हम कह सकते हैं कि रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें मर्यादा, सत्य, प्रेम, भातृत्व, मित्रत्व एवं सेवक के धर्म की परिभाषा पूरे समाज को दिखाई है। महर्षि वाल्मीकि किसी क्षेत्र, जाति विशेष को नहीं मानते थे। वे सबसे उपर उठ कर एक समाज को शिक्षा देने वाले तपी महापुरुष थे। उन्होंने कहा कि हमें आज महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को अपनाने की जरुरत है। इस दौरान कांग्रेसी नेता सुरेन्द्र छिक्कारा, नगर पार्षद मनजीत दहिया, जुगल ज्योति, समाजसेवी नीतिन तनेजा, महर्षि वाल्मीकि आश्रम ट्रस्ट के प्रधान नरेंद्र लाहोट, अशोक कुमार बिरला, प्रकाश, रामेश्वर राणा, ओमप्रकाश, अशोक बिडलान, सूरजभान, बलराज, प्रधान सतबीर, मास्टर संजय लाहौट, हरबंश लाल, प्रताप, आजाद, सत्यवान, बलराज, सहित सैकड़ों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।