- बच्चों के खेलने की गाड़ी बनाकर गुजर बसर कर रहे हैं रामप्रसाद
- पिछले 40 वर्षों से खिलौना गाड़ी बनाकर बेच रहे हैं बिधल निवासी रामप्रसाद
श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। फिल्म दो आंखें 12 हाथ फिल्म में अभिनेत्री चंपा पर फिल्माया गया गाना सैय्यां झूठों का बड़ा सरताज निकला, मैं तो भोली थी वो चालबाज निकला, मुख मोड़ चला, बड़ा धोखेबाज निकला, गाने में पहली बार इस गाड़ी को दिखाया गया था। यह फिल्म 1957 में बनाई गई थी, जिसमें कैदियों के जीवन को बदलते दिखाया गया है, जो एक मिशाल बनी। आज हम ऐसे ही एक सख्स से आपको रूबरू करवा रहे हैं, जो इस कला में निपुण है।
सोनीपत शहर के करीब 24 किलोमीटर दूर जिले के गांव बिधल निवासी रामप्रसाद बच्चों के खेलने के लिए गाड़ी बनाते हैं, ये उसी प्रकार की खिलौना गाड़ी है, जिससे पहली बार 1957 में बनी फिल्म दो आंखें 12 हाथ में दिखाया गया था। जिसे बनाने में बांस की दो डंडी, मिट्टी की एक छोटी सी प्याली, कागज व दो छोटी सी लोहे की पत्ती, दो लकड़ी के पहिया का प्रयोग किया गया है। खिलौना गाड़ी बेचने वाले रामप्रसाद बताते हैं कि उनके पूर्वज भी बच्चों के खिलौने बनाने का काम करते थे। वे पिछले 40 सालों से बच्चों के खेलने की गाड़ी बनाकर अपने परिवार का पालन-पौषण करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले 200 से ज्यादा गाड़ी बिक जाती थी, लेकिन आजकल 40-45 ही बिक पाती हैं।
उन्होंने बताया कि जब से चाइनिज खिलौनों की तादाद बढ़ी है, तब से उनके काम पर काफी असर पड़ा है। अब पहले जितने खिलौने नहीं बिक पाते, क्योंकि जो दूसरे देशों से खिलौने आते हैं, वे प्लास्टिक के होने के कारण काफी सस्ते होते हैं। इसलिए लोग उन्हें ही खरीदना पंसद करते हैं। उल्लेखनीय है कि अब गांव और शहरों में ऐसे बहुत कम लोग बचे हैं, जो मिट्टी, लड़की, लोहे की पत्ती और कागज इन सभी चीजों का प्रयोग करके एक बेहतरीन व सुन्दर खिलौना बनाते थे, धीरे-धीरे ये कला लुप्त होती जा रही है। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो इस तरह की कलाएं हमारे देश से लुप्त हो जाएंगी। आने वाली पीढ़ियों को ये सब खिलौने तो सिर्फ किताबों व फिल्मों में ही देखने की मिलेगे।