सतकुंभा उत्सव से शांति, साधना, आध्यात्मिक जागृति की पहल : पीठाधीश्वर
श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुम्भा धाम के पीठाधीश्वर महंत राजेश स्वरूप महाराज ने सात दिवसीय सतकुम्भा उत्सव के 5वें दिन कहा कि सतकुंभ उत्सव से शांति, साधना, आध्यात्मिक जागृति की पहल है। सतकुम्भा तीर्थ पर अनुष्ठान का फल बहुत महत्वपूर्ण है। यह तीर्थस्थल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सवों का केंद्र बना हुआ है। अनुष्ठान करने से व्यक्ति को धार्मिक उत्साह, शांति, और साधना की अनुभूति होती है, जो आध्यात्मिक विकास में सहायता करती है। महाराज ने कहा कि सतकुम्भा तीर्थ 68 तीर्थ में शामिल है।
यहां श्रीराम कथा श्रीमद् भागवत आदि महायज्ञों को कराने का पुण्य प्राप्त होता है। कथा शिव स्त्रोत महायज्ञ उत्सव हो रहा है। धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सतकुम्भा की भूमि श्रेष्ठ है। धार्मिक श्रद्धालु प्रेरणा ले रहे हैं। हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, कुरुक्षेत्र में जो अनुष्ठान का फल है, वही श्रेष्ठ फल सतकुम्भा की पुण्य भूमि पर मिलता है। ऐसी पवित्र भूमि पर जहां सप्त ऋषियों ने तपस्या की। अपनी योग सिद्धि से रिद्धि-सिद्धि को जागृत कर कलशों को स्थापित किया। इसी की बदौलत पवित्र भूमि का नाम सतकुम्भा कहा गया है। बुधवार को मुख्य यजमान राजेश पहलवान पुरखासिया ने अनंत भंडारे की सेवा दी। शिव स्त्रोत महायज्ञ में आहुति डाली। आचार्य व्यास पवन चतुर्वेदी ने राम कथा के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाया।
अपने दिव्य संदेश में आचार्य व्यास ने कहा कि जो राम कथा यहां सुन रहे हैं, इसको जीवन में अमल करेंगे तो सुख, शांति, आनंद की अनुभूति होगी। देव तुल्य हजारों श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठकर अनंत भंडारे का आनंद लिया है। वेदपाठियों ने आनंद भठ के नेतृत्व में मंत्रोच्चारण किया और नगरपालिका गन्नौर चेयरमेन अरुण त्यागी ने शिव स्तोत्र महायज्ञ में आहुति डाली। चेयरमेन अरुण त्यागी ने कहा कि श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए हैं। सतकुंभा के प्रति श्रद्धा भाव सभी का बना रहे। भगवान कृपा करें कि हम सदमार्ग पर चले और सनातन धर्म की ध्वज पताका को फहराते रहें। स्वामी सत्यवान महाराज एवं सूरज शास्त्री ने अरुण त्यागी को पगड़ी पहनाई एवं स्मृति चिह्न भेंट किया।