रणबीर सिंह, सोनीपत। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर कार्तिक पूर्णिमा का भव्य मेला लगेगा। जिसमें 26 नवंबर को विशाल कुश्ती दंगल आयोजित करवाया जाएगा और 27 को कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होगा। मेला लगेगा यह जानकारी सतकुंभा धाम के प्रबंधक सूरज शास्त्री ने दी है। सूरज शास्त्री ने बताया कि परम श्रद्धेय पीठाधीश्वर श्रीमहंत राजेश स्वरुप महाराज के परम सांनिध्य में कार्तिक पूर्णिमा स्नान 27 नवम्बर के लिए आने वाले प्रभु भक्तों की सेवा के लिए पूरी सेवादल टीम सेवा में लगी है। व्यवस्थाओं को बेहतर तरीके से करने के लिए हर पहलू पर काम किया जा रहा है। हजारों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग की फ्री सेवा की जाएगी। यह हिन्दुओं एवं सिक्खों का बहुत ही पवित्र दिन है। जिससे तीर्थ एवं नदियों के स्नान का बहुत बङा महत्व है।
तीर्थ सतकुम्भा पर स्नान को करने के लिए आसपास के 120 से अधिक गांवों एवं दूर दराज के जिलों एवं अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, उतराखंड, पंजाब, चंडीगढ, दिल्ली से भी श्रद्धालु पूजा अर्चना एवं स्नान के लिए आएंगे। श्रद्धालुओं के लिए अनंत भंडारे की सेवा रहेगी। दिनांक 26 नवम्बर को प्रात: से दोपहर तक गांव खेङी गुज्जर के समस्त श्रद्धालुओं द्वारा बाबा सीताराम का छमाही भण्डारा किया जाएगा। मुख्य श्रद्धालु भगत कोलसिंह, चुहङ सिंह, रामपाल सिंह, जनैश्वर छौक्कर द्वारा अन्नत भण्डारे की सेवा समस्त ग्राम के सहयोग से प्रदान की जाएगी। ग्राम पंचायत खेडी गुज्जर सरपंच जगबीर सिंह छौक्कर ने बताया कि सतकुम्भा धाम पर पौराणिक विशाल दंगल की परम्परा रही है। जिसको समस्त ग्राम के सहयोग से आयोजित करवाया जाता है। पुरातन समय में यहां इसको मलयुद्ध के रुप में जाना जाता था। रेवत फोजी के नेतृत्व में दंगल का आयोजन किया जाएगा।
दोपहर बाद कुश्ती का दंगल होगा। जिसमें 250 से ज्यादा कुश्ती अलग-अलग वजन की करवाई जाएंगी। यह कुश्तियां चित्त-पट की होंगी। परम श्रद्धेय पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने कहा है कि समस्त तीर्थों पर सभी देवी देवता अपना सांनिध्य देने के लिए अवतरित होते हैं। इसलिए इस स्नान का बहुत ज्यादा महत्व है। सेवा एक बीज है जो कभी मिटता नहीं इसका फल हर हाल में मिलता है। इसीलिये भंडारे की सेवा की जा रही है। बाबा सत्यवान, पवन शर्मा, सोमवीर आदि व्यवस्थाओं के लिए समर्पित हैं। मेले में आने वाली मां, बहन, बेटियां सोने चांदी के आभूषण पहन कर ना आएं। श्रद्धा भक्ति के भाव से स्नान एवं पूजा अर्चना करें। सतकुंभा 68 तीर्थ में शामिल है यहां का किया हुआ स्नान गंगा, यमुना स्नान के बराबर माना गया है। आने वाले श्रद्धालु व्यवस्था सहयोग बनाएं।