सैटेलाईट से रखी जा रही चप्पे-चप्पे पर नजर, आगजनी के साथ ही मिल जाएगी प्रशासन को सूचना
श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। पर्यावरण संरक्षण व लोगों के स्वास्थ्य के दृष्टिगत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप-निदेशक ने उपायुक्त को प्रस्ताव प्रेषित करते हुए सिफारिश की कि पराली जलाने वाले किसानों को किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता न दी जाए। यदि कोई ऐसा किसान पराली जलाता हुआ मिलता है तो उसको दी जा रही सहायता तुरंत बंद कर दी जाए। उपायुक्त डा. मनोज कुमार ने किसानों से अपील की कि वे किसी भी स्थिति में फसल अवशेषों को न जलायें।
पराली जलाने से प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है, जो स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के लिए भी अत्यधिक नुकसानदायक है। पराली न जलाने वाले किसानों के लिए सरकार ने कई प्रकार की सुविधाएं दी हैं। किसानों को विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया गया है। पराली का सदुपयोग करना चाहिए। पराली प्रबंधन के लिए हर प्रकार की सुविधाएं दी गई हैं। इसके बावजूद यदि कोई किसान पराली जलाता है तो वह निराशाजनक है। ऐसे किसानों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उपायुक्त ने कहा कि पराली जलाना गैर-कानूनी है। सैटेलाईज से चप्प-चप्पे पर नजर रखी जा रही है। यदि कहीं भी कोई आगजनी की घटना होती है तो उसकी सूचना तुरंत प्रशासन को मिल जाएगी।
सूचना मिलते ही संबंधित टीम मौके पर जाकर जांच करेगी और आरोपियों के विरूद्घ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। जुर्माना लगाने के साथ पुलिस में मामला दर्ज करवाया जा सकता है। उन्होंने यह आदेश औद्योगिक इकाइयों तथा दुकानों के लिए भी लागू होने की बात कही। उन्होंने कहा कि यदि कोई दुकानदार अथवा औद्योगिक इकाई संचालक अपने कचरे को जलाता है तो उसकी इकाई को छह माह के लिए सील कर दिया जाएगा। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप-निदेशक डा. पवन शर्मा ने उपायुक्त को प्रस्ताव दिया है कि पराली जलाने वाले किसानों को कृषि योजनाओं के तहत दी जा रही सरकारी सहायता पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए। साथ ही अन्य प्रकार की कार्रवाई भी की जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन ऐसे किसानों की भूमि अटैच करने पर भी विचार कर रहा है। इस प्रकार के कड़े कदम उठाने आवश्यक हैं ताकि कोई भी किसान पराली न जलायें।