श्याम वशिष्ठ, सोनीपत। श्री शान्तिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मंडी में दसलक्षण महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर जैन समाज के कार्याध्यक्ष जगदीश जैन परिवार द्वारा श्री शांतिनाथ महामंडल विधान का आयोजन किया गया । इस अवसर पर शांतिधारा करने का शुभ अवसर हीरक जैन, स्वर्ण जैन, शिवम जैन और जगदीश जैन परिवार को प्राप्त हुआ ।
जैन मिलन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष जयकुमार जैन ने कहा कि लोभ की प्रवृत्ति को त्यागना ही धर्म है। जब व्यक्ति के मन में लोभ नहीं होगा और संतोष होगा अपनी चीजों के प्रति तो वह व्यक्ति संसार का सबसे सुखी व्यक्ति होता है। जैन मिलन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महन्त जैन टोनी ने कहा कि इस संसार में दुख का कारण लोभ है, जो चीज हमारे पास है हम उसमें संतुष्ट न होकर दूसरों की अपेक्षा रखते हैं। वही सबसे बड़ा मन को विचलित करने वाला अवसर होता है ।
इस अवसर पर जैन मिलन सोनीपत के अध्यक्ष जगदीश जैन ने कहा की यदि व्यक्ति सुखी होने का अवसर ढूंढता है, तो वह एकमात्र अपने संसाधनों में संतुष्ट हो तो सुखी हो सकता है। अन्यथा कितना भी धन वैभव इकट्ठा हो जाए बिना संतुष्टि के अधूरा है अर्थात दुख का कारण है। इस अवसर पर पवन जैन, मुकेश जैन, अनु जैन, संतोष जैन, अनीता जैन इत्यादि उपस्थित रहे।