- अधंकार में डूबी हुई हैं दुनिया जो पत्थरों में भगवान को ढूंढती
- मोबाइल ने रिश्तों में दूरी बढा दी, जिसे दूर करना जरूरी
- स्कूली बच्चों ने अपनी पोकेट मनी से सामान खरीदा
रणबीर सिंह, सोनीपत। संसार में जन्में सभी प्राणियों में मनुष्य जीवन सबसे श्रेष्ठ है, जिसे भगवान ने अन्य प्राणियों की अपेक्षा मन, बुद्धि व आत्मा अलग से प्रदान की है, जिसका सदुपयोग करके जीवन को पावन-पवित्र, स्वच्छ व शुद्ध बनाया जा सकता है। हमारा घर, स्कूल दोनों ऐसे पावन-पवित्र स्थल हैं जो हमें शिक्षा, ज्ञान, अच्छे संस्कार, अच्छा आचरण प्रदान करके हमें एक सभ्य सुशील अच्छा नागरिक बनाते हैं, लेकिन वर्तमान समय में आधुनिकता और भागदौड़ भरी जिंदगी में वृद्ध आश्रमों में रहे बुर्जुगों को देखकर ऐसा लगता है कि मनुष्य जीवन में संस्कारों का अभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
मंगलवार को एक निजी स्कूल के विद्यार्थियों ने अपनी पोकेट मनी से समाज कल्याण शिक्षा समिति द्वारा चलाए जा रहे वृद्ध आश्रम में रह रहे बुर्जुगों के लिए खाने-पीने व कपड़े खरीद कर वितरित किए। स्कूली बच्चों ने वृद्ध आश्रम में सामान वितरित करने के बाद बुर्जुगों से आशीर्वाद लिया। बुर्जुगों ने बच्चों को अच्छी नौकरी का आर्शावचन दिया। इस मौके पर वर्मा लैब के संस्थापक प्रवीण वर्मा एवं स्कूल संचालक देवेन्द्र सिंगला ने कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देना, पैसा देना ही सबकुछ नहीं है। आज बच्चों को देने की सबसे ज्यादा जरूरत हैं संस्कार देने की।
उन्होंने कहा कि माता-पिता के आत्मसम्मान के साथ उनकी सुरक्षा करनी है तो वो संस्कारों के बल पर दी जा सकती है। अधंकार में डूबी हुई हैं दुनिया, जो पत्थरों में भगवान को ढूंढती है, अगर बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाएं तो घर में ही भगवान है। उन्होंने कहा कि मोबाइल ने रिश्तों को खत्म कर दिया है, मोबाइल के कारण दूरी बढ़ गई है, जिसे दूर करने के लिए बच्चों को अच्छे संस्कार देने की जरूरत है। स्कूली बच्चों ने ठाना की अपनी पोकेट मनी से कुछ सामान खरीद कर वृद्ध आश्रम में जाकर वहां रह रहे बुर्जुगों के दुख तकलीफ को जाना जाए। इस मौके पर बच्चों ने शपथ ली की हम अपने बडे-बुर्जुगों व माता-पिता की सेवा करेंगे।