रणबीर सिंह, सोनीपत। भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं ने आपातकाल में जेल गए सेनानियों को सम्मानित कर लोकतंत्र के काले अध्याय को याद किया। वक्ताओं ने कहा कि इस दिन 1975 में नागरिकों के मौलिक व मूलभूत अधिकार निरस्त करके तानाशाही का शासन स्थापित कर दिया गया था। आपातकाल के सेनानियों को शॉल उढ़ाकर सांसद रमेश कौशिक, पूर्व मंत्री कविता जैन तथा विधायक निर्मल चौधरी ने सम्मानित करते हुए कहा कि स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने इलाहबाद उच्च न्यायालय द्वारा चुनाव अवैध घोषित होने के बाद भी इस्तीफा देने की बजाए कांग्रेस ने लोगों की उस स्वतंत्रता का हरण कर लिया जो कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई लड़ते वक्त देने का वायदा करते हुए संविधान लागू करके दिया था।
सम्मानित होने वालों में अशोक जैन, सुरेश गोयल, आत्म सिंह गांधी, अमरनाथ छाबड़ा, पवन कुमार, सतीश भूटानी, सुरेश बजाज, सुरेश डुडेजा प्रमुख रूप से रहे। वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस ने इस दिन देश के सभी बड़े नेता जेलों में ढूंस दिए गए। विश्व संस्थाओं के मंचों पर भारत कि अहमियत घट रही थी, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत कि प्रतिष्ठा लगातार दागदार हो रही थी। जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी का जबरन दमन चक्र चल रहा था और यहां तक कि चौक चौराहों की बात तो दूर, घर में भी बैठकर लोग सरकार की आलोचना से कतराने लगे थे। जनता के आंदोलन को देखते हुए तथा पश्चिमी देशों द्वारा की जा रही आलोचनाओं से घबराकर इंदिरा गांधी ने शुरू में इमरजेंसी को ठीक करार देते हुए आखिर जनवरी 1979 में हटाकर साबित कर दिया कि उनका इमरजेंसी लगाने का निर्णय गलत था।
वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस का कभी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रहा और अब भी एक परिवार की पार्टी बन कर रह गई है। सभी ने जनता से अपील की कि बहुरंगी कांग्रेस के नेताओं पर कभी विश्वास ना कर लेना। अन्यथा लोकतंत्र के साथ-साथ देश भी खतरे में पड़ जायेगा। कार्यक्रम में जेल जाने वाले सेनानियों ने कहा कि इमरजेंसी के काले दिन और ज्यादतियां भुलाये भी नहीं भूल सकते। इस अवसर पर तरुण देवीदास, अशोक छाबड़ा, सुरजीत दहिया, प्रदीप गौतम, नीरज अत्रे, राजेंदर गोयल, पुरषोतम शर्मा, संजीव गांधी, अजित प्रधान, अनिल ग्रोवर, वेद कालूपुर, सतपाल कौशिक, सुरेंदर, शकील खान, संजीव वलेचा, आर्यन जांगड़ा, कविता चौधरी, मंजू सैनी आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।