सतकुंभा तीर्थ पौराणिक अलौकिक और दिव्य : पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज
रणबीर सिंह, सोनीपत। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा गंगा दशहरे पर कहा कि हरियाणा की एग्रीकल्चर से पहचान थी, फिर चर्चा खिलाड़ियों और वीरों के रुप में हुई। लेकिन जब से केंद्र में और हरियाणा में भाजपा की सरकार आई है, तब से हरियाणा को तीर्थो की धरती कहा जाने लगा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को एक और नई पहचान गीता की धरती के रुप में।
कुरुक्षेत्र में लड़ाई तो हुई, लेकिन उस लड़ाई से हमें जो अनमोल रतन प्राप्त हुए उसके नाम से कुरुक्षेत्र की पहचान हो ऐसा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने पूज्य संतों के साथ मिलकर बनाया। गीता के जो पहले दो शब्द हैं, धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र किस धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में धर्म की विजय होनी चाहिए। यह पहला काम था जो भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के इस पावन धरा को चुना। मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि हम हरियाणा के उन तीर्थों का चयन कर रहे हैं। जिनका उल्लेख ग्रंथों में है या उनका कहीं भी उल्लेख है। उनकी सूची हम सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ का विकास करवाने के लिए हरियाणा सरकार से आग्रह करेंगे। यह प्रार्थना में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और महामहिम राज्यपाल के समक्ष रखूंगा। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के पीठाधीश्वर श्रीमहंत राजेश स्वरूप महाराज ने कहा कि सर्व सिद्धि सतकुम्भा सतकुंभा तीर्थ पौराणिक अलौकिक और दिव्य है।
गंगा दशहरे कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सचिव मदन मोहन छाबड़ा का सभी की ओर से स्वागत करते हैं। भारत के 68 तीर्थ में शामिल सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर पौराणिक है, इस इसका उल्लेख ग्रंथों में मिलता है। खेड़ी गुज्जर में सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम चार दिशाओं का संगम है। हर वर्ग का व्यक्ति रविवार को सतकुंभा धाम पर स्नान करने आता है। पूर्णमासी को स्नान के लिए सतकुंभा धाम पर स्नान का खास महत्व है। डा. हरजीत, मनिंद्र सन्नी, जगबीर छौक्कर, मोनू यादव, महिपाल गौतम, सेठपाल छौक्कर, प्रबंध सूरज शास्त्री, ब्रह्मपाल छौक्कर ने झंडे जल की झबील की सेवा, जबकि सिद्धपीठ सतकुंभा धाम परिवार की ओर से हजारों श्रद्धालुओं के लिए अनंत भंडारा लगाया। यज्ञ में पवन शास्त्री, अनिल, आचार्य अमन शर्मा, सत्यवान महाराज, सोमबीर शास्त्री ने हवन में सेवा की। बजरंग दल खेड़ी गुज्जर के सदस्य, मास्टर कृष्ण चंद शर्मा ने व्यवस्था में सेवा की।