रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। सेक्टर 15 जैन स्थानक में जन सभा को संबोधित करते हुए जय मुनि महाराज ने फरमाया संत राजहंस की तरह बाहर व अंदर से स्वेत यानी निर्मल मन, सरल आत्मा तथा पवित्र विचारों के धनी होते हैं। हंस की विशेषता है की पानी में से दूध निकाल लेता है। इसी तरह संत जन निस्सार वस्तु से भी सार निकाल लेते हैं। वे मनमुखी नहीं, गुरुमुखी व आत्म मुखी होते हैं। पुष्कर तीर्थ में निर्मित ब्रह्मा जी की चतुर्मुखी मूर्ति की उपमा देते हुए उन्होंने कहा जैसे वहां एक मुख आगे है जो साफ नजर आता है। दूसरा मुख पीछे है जो नजर नहीं आता। शेष जो 2 मुख दाई और बाई तरफ हैं वे आधे नजर आते हैं। इसी तरह हमारे पास चार तत्व हैं शरीर, आत्मा, मन और बुद्धि।
आत्मा रूपी चेहरा पीछे है जो संसारी लोगो को नजर नही आता, जर, जोरू, जमीन के चक्कर में फंसे संसारी लोग आत्मा को पीछे ही रखते हैं शरीर तक ही केंद्रित रहते हैं। जब की संत लोग शरीर को पीछे तथा आत्मा को आगे रखते हैं। उन्होंने चारों दिक्षार्थियो को संदेश देते हुए कहा कि तुम जैन साधना का कठोर पथ अपना रहे हो तो आत्मा को आगे रखना, उसकी पवित्रता अखंड रहे। शुद्ध आत्मा को ही परमात्मा कहते हैं। कंवर पाल गुज्जर शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार ने भी गुरुदेवों के दर्शनों का लाभ लिया तथा दीक्षार्थी बंधुओ को आशीर्वाद देते हुए उनके शुद्ध संयमी जीवन के लिए शुभकामना की।
ध्यान रहे संघशास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार की घोषणा के अनुसार शिक्षामंत्री ने गुरुदेव की जीवनी पाठ्यक्रम में शीघ्र शामिल करवाने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर 28 मुनिराज तथा 20 महासाध्वियां विराजमान हैं, जिसके संघसंचालक नरेश मुनि महाराज ने दिक्षार्थियों को आशीष देते हुए उन्हें साधना पथ पर अप्रमत भाव से बढ़ने का संदेश देते हुए कहा कि दीक्षा लेने का लक्ष्य है, पूर्व पापों का विसर्जन तथा नए पापों से पूर्ण बचाव। इस मौके पर राजीव जैन पूर्व मीडिया सलाहकार मुख्यमंत्री हरियाणा व श्रीमती कविता जैन पूर्व कैबिनेट मंत्री, महावीर प्रसाद जैन, मामन चंद जैन, त्रिलोक जैन, सुरेश जैन, भूषण जैन, संजय जैन, सुभाष जैन, संदीप जैन आदि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।