- जिलेभर के छठ घाटों पर हुई छठी मैया की विधि-विधान से पूजा
- -व्रती महिलाओं ने शुरू किया 36 घंटे का निर्जला उपवास
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। छठ महापर्व पर जिले में बने विभिन्न घाटों पर पूर्वांचल के श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य देकर छठ मैया की पूजा की। छठ पूजा को लेकर घाटों को बहुत ही सुन्दर तरीके से केले के पेड़ व अन्य सजावट के साजो सामान से सजाया गया था।ब्रिजेश सिंह महामंत्री उतर भारतीय मोर्चा भाजपा महाराष्ट्र ने कहा कि सच्चे मन से पूजा करने वालों की छठ मैय्या सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। ब्रिजेश सिंह ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ की अपनी विशेषता है। छठ मैया को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह व भक्ति का माहौल देखा जा सकता है। पूर्वांचल का हर व्यक्ति इस त्योहार में शामिल होता हैं। घाट पर चलते हुए पानी के अन्दर खड़े होकर सभी लोग एक साथ पूजा करते हैं। छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को गुड़ खीर व घी मिश्रित रोटी का भोग लगाकर खरना संपन्न किया। इसके साथ ही उनका 36 घंटे का निर्जला व निराहार व्रत शुरू हुआ।
सूर्योपासना के महापर्व अनुष्ठान में रविवार को अस्ताचलसगामी सूर्य को श्रद्धालुओं ने अर्घ्य प्रदान किया। सोमवार को श्रद्धालु उदीयमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करके इस महापर्व के अनुष्ठान का समापन करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। गौरतलब है कि बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश में छठ पूरी श्रद्धा और भक्ति से मनायी जाती है। रविवार शाम व्रतियों ने पूरी भक्ति के साथ भगवान भास्कर को गुड़ -दूध की खीर, घी में बनी रोटी का भोग लगाया और खुद भी परिजनों के साथ प्रसाद ग्रहण किया। यहां बता दें कि छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना पूजन का आयोजन किया गया। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास भी शुरू हो गया।
जिले के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले पूर्वांचल के श्रद्धालु रविवार को भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य दिया व सोमवार की सुबह उगते सूर्य देवता को प्रात:कालील अर्घ्य देंगे। छठ पूजा के मद्देनजर श्रद्धालुओं ने बाजारों में पूजन सामग्री व फलों की जमकर खरीददारी की। दरअसल खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है। व्रतियों ने शाम के समय साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार किया। इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाओं ने इस प्रसाद को ग्रहण किया। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू गया। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मइया) का आगमन हो जाता है।