- -हर आदमी की बात सुनकर काम करवाने का रहता है पूरा प्रयास : उपायुक्त सिवाच
-उपायुक्त ललित सिवाच दिव्यांगों व बुजुर्गों की आगे बढक़र करते हैं सुनवाई
-विवाद रहित रहा कार्यकाल, सबके सहयोग से हर चुनौती को किया पार: उपायुक्त
-लघु सचिवालय में उपायुक्त सिवाच ने पत्रकारों से की विशेष बातचीत - कलम के सिपाहियों को उपायुक्त ललित सिवाच ने दी दिवाली की अग्रिम बधाइयां
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। उपायुक्त ललित सिवाच ने कलम के सिपाहियों को दीपों के पर्व दीपावली की अग्रिम बधाइयां देते हुए कहा कि लोकतंत्र में चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। मीडिया को अपने दायित्व का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी व कर्मठता से निभाते हुए समाज को दर्पण दिखाने का काम करना चाहिए। उन्होंने मीडिया से मिले सहयोग के लिए भी उनका आभार व्यक्त किया।
उपायुक्त सिवाच शुक्रवार को लघु सचिवालय में पत्रकारों से विशेष बातचीत कर रहे थे। उपायुक्त ने कहा कि जब उन्होंने सोनीपत में उपायुक्त का पदभार ग्रहण किया, तब यहां कई प्रकार की चुनौतियां थी। इनमें विशेष रूप से किसान आंदोलन और कोविड-19 की दूसरी लहर को शामिल किया जा सकता है। सबके सहयोग तथा दिन-रात मेहनत करते हुए हर प्रकार की चुनौतियों को पार करने में सफलता मिली। करीब डेढ़ वर्ष का कार्यकाल विवाद रहित रहा है। सबके साथ अच्छा तालमेल और सहयोग रहा, जिसके चलते जिलावासियों को बेहतरीन सेवाएं देने में सफलता मिली।
उपायुक्त सिवाच ने कहा कि उनका प्रयास रहता है कि वे हर आदमी की बात सुनें और उनकी समस्याओं व शिकायतों का समाधान करवायें। होने वाले काम को वे स्वीकारते हैं और न होने वाले काम की झूठी हां नहीं भरते। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से दिव्यांगों तथा बुजुर्गों से वे स्वयं आगे बढक़र मिलते हैं और उनका काम करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। आज भी उन्होंने कई बुजुर्गों को कॉरिडोर में देखकर मुलाकात करते हुए उनकी समस्या सुनी और अतिरिक्त उपायुक्त को बुलाकर समाधान के निर्देश दिए।
यहां के लोग जिद्दी भले हों किंतु बात मानने वाले हैं। लोगों को तर्कसंगत से बात समझायें तो वे समझ जाते है। उपायुक्त ललित सिवाच ने कहा कि एनसीआर के अंतर्गत आने वाला सोनीपत जिला बेहतरीन जिला है जो विकास की नई गति की ओर तीव्रता से अग्रसर है। यहां के बच्चे खेलों और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। एक वर्ष में सिविल सर्विसेज में करीब 35 बच्चों ने सफलता हासिल कर रिकॉर्ड कायम किया है। इसके अलावा उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन में मिली सफलता की भी चर्चा की।