- समारोह में नेत्रदान करने वाले के परिजनों को किया सम्मानित
- दृष्टि सेवा समिति ने किया नेत्रदाता परिवार सम्मान समारोह का आयोजन
- समिति की ओर से नेत्रदाता परिवारों को स्मृति चिन्ह व श्रीमदभागवत गीता देकर किया सम्मानित
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। धडक़नों को जगा देती हैं आंखे, दिल पे चलता नहीं जादू चेहरों का कभी, दिल को तो दीवाना बना देती हैं आंखे। कुदरत की अनमोल देन आंखें मानव शरीर का संवेदनशील अंग हैं। अगर हम एक घंटे अपने आंखों का प्रयोग न करे तो शायद इसकी थोड़ी सी कीमत समझ में आएगी। आंखे जो अपने आप में बहुत कुछ कह जाती हैं। सबसे सुन्दर रिश्ता आंखों का होता है। एक साथ खुलते बंद होते हैं वो भी जीवन भर एक दूसरे को देखे बिना।
नेत्रदान महादान होता है। जी हां मृत्यु के पश्चात अगर फिर से इसे दुनिया को देखना है तो अपनी आंखें दान कर दो। रविवार को दृष्टि सेवा समिति ने सब्जी मंडी के नजदीक एक निजी स्कूल में नेत्रदाता परिवार सम्मान समारोह का आयोजन किया। समारोह में मृत्यु पश्चात अपनी आंखें दान करने वाले के परिजनों को सम्मानित किया। इस अवसर पर भाजपा नेता राजीव जैन, शांता जैन, वरिष्ठ समाजसेवी एवं वर्मा लैब के संचालक प्रवीन वर्मा, सुभाष वशिष्ठ आदि अतिथियों ने नेत्रदाता परिवारों को स्मृति चिन्ह व श्रीमद्भागवत गीता देकर सम्मानित किया।
समारोह में उन सभी पवित्र आत्माओं को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने नेत्रदान कर किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन में रोशनी दी। नेत्रदान की गई आंखों का उपयोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित लोगों में दृष्टि बहाल करने के लिए किया जाता है। कॉर्निया आंख के सामने को कवर करने वाला स्पष्ट ऊतक है। यदि यह बिगड़ा हुआ है तो दृष्टि कम हो जाती है या खो जाती है। ऐसे मामलों में, केराटोप्लास्टी नामक एक साधारण सर्जरी द्वारा दृष्टि को बहाल किया जा सकता है। जिसमें कॉर्निया को बदल दिया जाता है। आपको बता दें कि व्यक्ति जो नेत्रदान करता है, वह दो नेत्रहीन लोगों को दृष्टि का प्रदान कर सकता है। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने दृष्टि सेवा समिति के इस सेवा कार्य के लिए संस्था की सराहना की। इस दौरान काफी संख्या में शहर के गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।