- जीवन में संयम, शांति व बड़ों का आदर-सम्मान करते हुए आगे बढे समाज का हर नागरिक
- -उडीसा के राज्यपाल ने चरण स्पर्श करते हुए गच्छाधिपति गुरूदेव सेठ श्री प्रकाश चंद महाराज से लिया आशीर्वाद
- -गांव वजीरपुर स्थित भगवन धाम टीपीएस पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे उडीसा के राज्यपाल प्रो० गणेशी लाल
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। उडीसा के राज्यपाल प्रो० गणेशी लाल ने कहा कि मनुष्य के जीवन में संयम बेहद ही जरूरी है, इसलिए समाज के हर नागरिक को अपने जीवन सफल होने के लिए संयम, शांति और बड़ों को आदर-सम्मान करते हुए आगे बढना चाहिए, तभी उसके शरीर को शक्तियां प्राप्त होंगी। उन्होंने कहा कि मनुष्य को हमेशा इस बात का चिंतन जरूर करना चाहिए कि वह कहां है और क्यों है यह उसके लिए बेहद जरूरी है। रविवार को उडीसा के राज्यपाल प्रो० गणेशी लाल गांव वजीरपुर स्थित भगवन धाम टीपीएस स्कूल में जैन मुनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे और गच्छाधिपति गुरूदेव सेठ प्रकाश चंद महाराज के चरण स्पर्श करते हुए उनसे आशीर्वाद लिया।
राज्यपाल ने कहा कि मनुष्य जब धरती पर कदम रखकर आगे बढ़ता है तो उसे जरूर ध्यान करना चाहिए कि वह किस मकसद को लेकर आगे बढ़ रहा है। इंसान का शरीर चीर सागर है और पृथ्वी पर हर मनुष्य आदि शक्ति की संतान है। वह धर्म और संस्कार के रास्ते पर चलकर अपने जीवन को शुगम बना सकता है। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में संथारा या संलेखना मनुष्य के लिए साधना का अंतिम द्वार होता हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से शरीर को त्याग कर अपनी आत्मा को दिव्य ज्योति में विलीन कर देता हैं। शाायद इसे ही मोक्ष कहते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में उसे समाधि भी कह देते हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्म प्राचीनतम धर्म हैं। विज्ञान के क्षेत्र में जैन साधुओं ने अनेक अविष्कार किए।
प्रो० गणेशी लाल ने कहा कि जैन धर्म में क्षमा को बसे बड़ा धर्म माना गया हैं। क्षमा को सबसे बड़ा अस्त्र माना गया है। किसी को क्षमा कर हम कटुता से मुक्त हो जाते हैं। किसी से क्षमा मांग कर हम उसे अपने प्रति कटुता से मंक्त कर देते हैं। इस तरह से हमें भी बेहतर नींद आती है। उन्होंने कहा कि आज सबसे अधिक तनाव का कारण आपसी कटुता हैं। हम यदि कटुता का त्याग कर क्षमा कर दें तो सारी समस्या समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि विचार और चेतना के बीच का सेतु है जीवन और जगत के बीच का संबंध है पर्यूषण पर्व ,व्यक्ति के जैसे विचार होते हैं उसका व्यक्तित्व वैसा ही निर्मित हो जाता है।
हमारे विचारों से हमारा व्यक्तित्व प्रभावित होता है इसलिए अपने विचारों को ऐसे बनाएं जिसमें सत्यम शिवम सुंदरम का वास हो। इस मौके पर गौरी शंकर आचार्य, तपस्वी रत्न गुरूदेव सुन्दर मुनि महाराज, सुशील मुनि महाराज, संयति मुनि महाराज, एसडीएम आशीष कुमार, रामकुमार जैन, सुरेश जैन, प्रतिभा जैन, गौतम, पवन, बिट्टू, रामपाल, संजीव, नरेश सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।