रोहतक। रोहतक के गांव निंदाणा में दादी सती के नाम से 12वां भंडारा व मेले का आयोजन किया गया। मार्केट कमेटी के चेयरमैन रामनिवास रोहिल्ला ने कहा कि लगातार 12 वर्षों से भंडारा और मेले का आयोजन कई गांव के सहयोग से किया जाता है। इस आयोजन का करने का मुख्य उद्देश्य उनके 12वीं सदी के अंतिम पड़ाव में निंदाणा गांव में जन्मे दादा लक्ष्मण रोहिल्ला की दो शादी हुई। पहली पत्नी के बच्चे ना होने के कारण दूसरी शादी दादी सुंदरी देवी गांव बागपत जिला झज्जर निवासी से हुई। दादी सुंदरी की वंश वेल चली, उसके बाद दादाजी का देहांत हो गया। उन दिनों सती प्रथा का बहुत ज्यादा प्रचलन चला हुआ था और दादी सुंदरी ने अपनी इच्छा से दादा जी के साथ अपनी जीवन लीला समाप्त करने का निश्चय कर लिया।
दादी जी ने पूरे परिवार को इकट्ठा करके दादाजी के शव को श्मशान घाट तक ढोल और नगाड़ों के साथ अंतिम विदाई दी और साथ में अपना निर्णय कर लिया कि मैं भी दादा लक्ष्मण के साथ ही सती होना चाहती हूं। दादा लक्ष्मण का सिर अपने गोद में रख कर के चिता में बैठ गई। चिता को मुखाग्नि दिलवाले गई दादी सुंदरी देवी के पतिवर्ता के इस त्याग और बलिदान के इस उद्देश्य के साथ दादी के नाम से भंडारा व मेले का आयोजन करने का निश्चय किया। इस मेले में महम चौबीसी के लगभग सभी गांव फरमाना, मदीना, वैसी, खरैटी, गिरावड, चीड़ी, महम सैमाण, खरकड़ा बहलवा, मोखरा सभी रोहिल्ला परिवार इकट्ठे हो जाते हैं। आपस में सुख-दुख का पता लग जाता है और यह स्थान भाईचारे का प्रतीक बना रहता है।