- प्रधानमंत्री ने 272 जिलों को नशामुक्त बनाने के लिए करवाया चिन्हित : केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर
खिलाडिय़ों को नशामुक्त देश-प्रदेश बनाने में सहयोगी बनने का दिलाया संकल्प
खेलों में नंबर-1 बनने का लक्ष्य रखें, नौकरी और पैसा स्वयं मिल जायेंगे
रणबीर सिंह रोहिल्ला, सोनीपत। केंद्रीय आवास एवं शहरी निकाय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय साजिश के तहत देश की युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेलकर बर्बाद किया जा रहा है। इस साजिश को नाकाम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नशामुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान की सफलता के लिए देश के 272 जिलों को नशामुक्त करवाने के लिए चिन्हित करवाया है।
केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर शनिवार को शहर के एक निजी स्कूल में 15वीं जीआईएफ नेशनल ग्रेपलिंग चैंपियनशिप-2022 में शामिल खिलाडिय़ों को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 75 लाख लोगों को नशामुक्ति का संकल्प दिलाने का लक्ष्य रखा गया था। नशामुक्त भारत अभियान को इस दिशा में अपार सफलता मिली है, जिसके चलते 1 करोड़ 7 लाख 75 हजार लोगों को नशे से दूर रहने का संकल्प दिलाया गया। उन्होंने खिलाडिय़ों को भी नशामुक्त देश-प्रदेश बनाने में सहयोगी बनने का संकल्प दिलाया। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए उन्हें खेलों की ओर बढ़ाना चाहिए। इससे उनमें खेलों में जीतने का जज्बा पैदा होगा जो उन्हें नशे से भी दूर रखेगा।
खिलाड़ी अपनी प्रतिष्ठा व देश के मान-सम्मान के लिए मेहनत करें, जिसमें सरकार हर संभव सहयोग देगी। उत्तर प्रदेश में ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़ रुपये व ए-श्रेणी की नौकरी दी जाती है। हरियाणा में भी खिलाडिय़ों को इसी प्रकार प्रोत्साहन दिया जाता है। खिलाडिय़ों को अपने खेल में नंबर-1 बनने पर ध्यान केंद्रित कर कठोर परिश्रम करना चाहिए। नौकरी और पैसा खिलाडिय़ों को स्वयं मिल जायेगा। सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है। सरकार का विशेष फोकस खेलों पर है। नट जाति के लोगों से बेहतर जिमनास्ट और मछुआरों से श्रेष्ठ तैराक कहां मिलेंगे। आवश्यकता उन्हें इस दिशा में प्रोत्साहन देने की है। उन्होंने खेल-खिलाडिय़ों के प्रोत्साहन के लिए नारा दिया- हम चले खेल की ओर, खेल चला ओलंपिक की ओर।
केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने आह्वान किया कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को खेलों से जोड़ें ताकि वे नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहें। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने घरों में बैनर लगायें कि-मैं खिलाड़ी हूं, इसलिए हमारा परिवार नशामुक्त परिवार है। इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि नशा भारत की देन नहीं है। पहली बार 1760 में एक अंग्रेज ने कलकत्ता में शराब की पहली दुकान खोलकर नि:शुल्क रूप में लोगों को शराब को सेवन करवाकर उसका आदी बनाया। तंबाकू हमारे देश में पुर्तगाली लेकर आये। इसी प्रकार अफीम-गांजा आदि नशे भी दूसरे देश लेकर आये। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हमने देश से अंग्रेजों को भगाया उसी प्रकार अब नशे को भगाना है।