- बुजुर्गों की पेंशन कॉपी अपने पास रखने का बुजुर्गो ने कर्मचारी पर लगाया आरोप
- सीएम विंडो पर शिकायत देने के बाद नहीं हुआ समाधान
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। जिला सोनीपत के गांव भदाना में बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए चलाई गई सरकारी योजना के तहत मिलने वाली पेंशन पर डाका डाला जा रहा है। पिछले कई महीनों से पेंशन ना मिलने से बुजुर्गों और दिव्यांगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पेंशन वितरण करने वाले कर्मचारी पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बुजुर्गों की पेंशन कॉपी अपने पास रख लेता है और उन्हें मिलने वाली हर महीने की पेंशन पर खुद ही एंट्री कर पैसे निकाल लेता है। पेंशन मामले में पंच नीलम, ग्रामीण रतनी, ओमी, राजवंती, सतबीर, कर्मबीर ने कर्मचारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बुजुर्ग जब बार-बार चक्कर काटते हैं तो उन्हें एक या दो माह की पेंशन देकर बाद में देने की बात कर टाल देता है। बुजुर्ग कितने आहत और परेशान हैं और प्रशासन बेख़बर है।
प्रदेश सरकार दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना के तहत सहायता पहुंचाने का भरपूर प्रयास कर रही है। लेकिन कुछ स्वार्थी और लालची लोग बुजुर्गों और दिव्यांगों की पेंशन पर भी डाका डाल लेते हैं। ऐसा ही मामला सोनीपत के गांव भदाना से सामने आया है, जहां पर गांव में बुढ़ापा, विधवा और दिव्यांग समेत लगभग 700 लोग पेंशन पर आश्रित है। इनके परिवार में हालात इतने विषम है कि जिसे सुनकर हर कोई अपनी आंखें नम कर लेगा, क्योंकि पिछले कई महीनों से पेंशन का पैसा ना मिलने के कारण उनकी रोटी के भी लाले पड़ गए हैं।
उधार लेकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। लेकिन यह भी कब तक चलेगा, क्योंकि गांव भदाना में पेंशन वितरण करने वाला ही पेंशनधारी लोगो की पेंशन पर डाका डाल रहा है, जिसको लेकर प्रशासन भी बेखबर है। बार-बार हर दरवाजे पर अर्जी लगाने के बावजूद भी किसी ने कोई सुनवाई नहीं की है। सीएम विंडो को भी शिकायत दी जा चुकी है। लेकिन कहीं से कोई हल नहीं निकला। कोई ऐसा अधिकारी सामने नहीं आया जिसने बुजुर्गों की पेंशन दिलवा दी हो। इनके दर्द के सामने प्रशासन को आगे आकर खुद कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। ग्रामीणों का आरोप है कि पेंशन वितरण करने वाला विक्रांत पेंशन देने के वक्त पर कभी नहीं आता है।
जब उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए ग्रामीण एकत्रित होते हैं तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई भी प्रशासन द्वारा नहीं की जाती। ग्रामीणों द्वारा यह भी आरोप लगाया कि पेंशन वितरण करने वाले विक्रांत की ऊंची सिफारिश के कारण पेंशन में गड़बड़झाला के आरोप सिद्ध होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गौरतलब है कि जहां पेंशन की कॉपी में हर महीने एंट्री की जानी चाहिए। कुछ बुजुर्गों की कॉपी में अप्रैल 2021 के बाद कोई एंट्री नहीं दिखाई गई है। जबकि उनकी पेंशन लगातार विभाग दे रहा है, लेकिन बुजुर्ग महिला को उसकी पेंशन नहीं पहुंच पा रही है। उनकी पेंशन के पैसे को ब्याज पर देकर मुनाफा कमा रहा है। बुजुर्गों के खाते में पैसा नहीं है, कॉपी में एंट्री नहीं है। अंदाजा लगा लीजिए कि लाखों रुपए का खेल पेंशन वितरण कर्मचारी द्वारा किया गया है। लेकिन सोया प्रशासन कब जागेगा।
सरकारी पेंशन योजना में घोटाला करने वाले का किस्सा कोई नया नहीं है। लगातार बुजुर्गों की पेंशन और मृत बुजुर्गों की पेंशन को हजम कर रहा है। उम्मीद की बात देखते बुजुर्गों की ये भीड़ इसीलिए एकत्रित हुई है कि उन्हें मालूम हुआ कि मीडिया का प्रतिनिधि उनके गांव में आया है और सरकार तक उनकी बात को पहुंचाएगा तो शायद उनका हल हो जाएगा। इसीलिए जब हम उनके बीच पहुंचे तो बुजुर्गों ने मीडियाकर्मी के सामने बारी-बारी से अपना दर्द रखा और कहा कि बेटा हमारी सारी पेंशन दिलवा दीजिए, लेकिन वास्तविकता यह थी कि इन बुजुर्गों से सरोकार न तो विभाग के अधिकारियों को है और ना ही जिला के अन्य अधिकारियों को है। अगर सरोकार होता तो आज यह शारीरिक रूप से चलने में असमर्थ है और असहाय बुजुर्ग पेंशन के लिए धक्के न खा रहे होते।
सोनीपत से सटे हुए 8 किलोमीटर गांव भदाना का यह हाल है तो दूरदराज की पंचायतों में बुजुर्गों की पेंशन के लिए किस प्रकार का हाल होगा यह अंदाजा लगाना भी गलत न होगा। वही गांव की पंच नीलम ने नम आंखों के साथ कहा की जो बुजुर्ग के मरने से पूर्व सारी कार्रवाई करके चले जाते हैं तो उनकी भी पेंशन उन्हें नहीं मिलती है और उनकी पेंशन खुद निकाल कर खा जाता है। बुजुर्ग पेंशन के ही सहारे जी रहे हैं और सरकार से प्रार्थना की कि सरकार जल्दी से इसका समाधान करवाएं। आरोप यह भी है कि कभी भी वक्त पर नहीं आता है और अपनी मनमर्जी के हिसाब से कुछ लोगों को ही पेंशन देता है और बहुत ज्यादा बहानेबाजी करता है और बुजुर्गों की पेंशन को निकाल कर खा जाता है।
वही बुजुर्ग रतनी ने बताया कि वह हॉस्पिटल में भर्ती थी और उसका इलाज चल रहा था और जब हॉस्पिटल से आई तो उसने अपनी पेंशन मांगी तो उसे कहा गया कि पेंशन नहीं है। करीबन 4 महीने की पेंशन को कर्मचारी ने मना कर दिया। कागजों और कॉपी में बुजुर्ग महिला की पेंशन दिए जाने की एंट्री की हुई थी। कॉपी भी अपने पास रखी है। ओमी का कहना है कि डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो गया है, अपने पास कॉपी रखे हुए हैं। 12 महीने में से 10 महीने की पेंशन उन्हें प्राप्त हुई है। बार-बर चक्कर काटने और कहने के बाद उन्हें 10 हजार रुपए मिले हैं। गांव के ग्रामीण जब पेंशन के लिए कहते हैं तो कभी चेक न मिलने का बहाना बना देता है तो कभी फिर देने का वादा करता है। लेकिन ऐसे करते-करते कई महीने बीत जाते हैं। बुजुर्गों को पेंशन नहीं मिलती है।