- शिव आराधना करने वाला व्यक्ति कालसर्प दोष से रहता है मुक्त
- कालसर्प योग वाले व्यक्ति के लिए शिवरात्रि सर्वोपरि
- महाशिव रात्रि पर महिला मंडली में कीर्तन में ओम नम: शिवाय, बम भोले बम गाया…
रणबीर सिंह, सोनीपत। महाशिव रात्रि पूरे जिले में हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। सोनीपत के सभी मंदिरों में सुबह तडक़े से ही भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइन लग गई थी। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि महाशिव रात्रि का दिन महाशुभ होता है। इस दिन मंदिर में भक्तिभाव से मांगा हुआ वरदान महादेव पूरा करते हैं। महाशिव रात्रि पर अपनी बुराईयों को त्याग कर अच्छाइयों को ग्रहण करने का पर्व माना जाता है। इस पर्व पर शिव की आराधना कर परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इससे समस्त प्रकार की बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
इसलिए इस दिवस पर भगवान शिव के समक्ष अपने पापों का त्यागकर व मन की बुराईयों को भुलाकर अच्छी सोच विचार को अपनाना चाहिए। इस दिन उपवास करने से मन की मुराद पूरी होती है। भगवान भोले नाथ को खुश करने के लिए हरिद्वार से कावंड लेकर आए शिवभक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेल-पत्र, दूध, शहर, घी, धूप, दीप व अगरबत्ती आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना की। भक्तों ने शहर के शंभूदयाल शिवालय, अग्रवाल धर्मशाला मंदिर, मिशन चौक मंदिर, भूरेबाबा मंदिर, गीता भवन मंदिर, बड़ा बाजार, गंज बाजार, चिंतपूर्णी, शिव धाम, शास्त्री पार्क मंदिर, सिटी थाना शिव मंदिर, एटलस मंदिर, इत्आदि मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया। सोनीपत जिले में महाशिवरात्रि पर्व पूरे धूमधाम से मनाया गया। कोरोना काल के बाद पहली बार मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली।
मंदिरों में शिव भक्तों ने शिवजी पर गंगाजल से जलाभिषेक कर शिवरात्रि मनाई। वही हरिद्वार से कावड़ लाने वाले कावड़ियों का भी तांता लगा रहा। कोरोना महामारी और लॉक डाउन के बाद पहली बार मंदिरों में रौनक दिखाई दी है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव भक्तों में उत्साह दिखाई दिया। सुबह से ही सोनीपत के शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ दिखाई दी। शिव भक्तों ने मंदिरों में महाशिवरात्रि के पर्व पर गंगाजल और पंचामृत से जलाभिषेक किया। शिव भक्तों की माने तो महाशिवरात्रि पर्व पर विधि विधान से पूजा करने से शिव अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। मंदिर में पूजा करने वाले आई महिलाओं ने कहा कि महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन संतान सौभाग्य में वृद्धि होती है और इस व्रत को करने से सुख की प्राप्ति होती है।
वही मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष संजोग बना है और शिव की कृपा से शिव भक्तों को असीम लाभ होता है। वहीं पंडित श्याम वशिष्ठ के अनुसार यदि जातक की जन्म कुंडली में जब सभी ग्रह राहु व केतु के मध्य पड़ते हैं तो उसे कालसर्प दोष कहते हैं। यह कुंडली का बंधन योग भी कहलाता है। शिवरात्रि के पावन पर्व पर कालसर्प दोष का उपाय करने का विशेष महत्व माना जाता है। जो इस बार शिवरात्रि पर एक मार्च दिन मंगलवार की है। उन्होंने बताया कि शिवभक्तों को कालसर्प योग से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। जो भक्त नित्य प्रति शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, वो जातक कालसर्प दोष से मुक्त रहते हैं। श्याम वशिष्ठ जी ने बताया कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर नाग-नागिन का चांदी का जोड़ा बनवाकर उसके ऊपर सोने का पानी चढ़वाएं।
साथ में सवा किलो चने की दाल, सवा मीटर पीला कपड़ा, दो जनेऊ, केसर, पांच प्रकार के फल, पांच प्रकार के मेवे, पंचामृत, गाय का कच्चा दूध, पीले फूल, पीले फूलों की एक माला व 27 बूंदी के लड्डू शिवलिंग पर चढ़ाने अर्पित करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। परन्तु सभी व्यक्तियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कालसर्प योग जैसे बड़े दोषों का ज्योतिष शास्त्र में कोई भी ऐसा उपाय नहीं है, जो एक बार करने से जिंदगी भर के लिए अपना पूरा असर रखता हो। इसलिए व्यक्तियों को किसी भी तरह के संदेह में ना पडक़र हर वर्ष महाशिवरात्रि या नागपंचमी के पावन पर्व पर इस दोष के निवारण हेतु भगवान शिव की शरण में जाना चाहिए। पंडित श्याम वशिष्ठ ने बताया कि इस उपाय को करने से जातक को मानसिक शांति मिलती है, पितर प्रसन्न होते हैं व धन-धान्य में वृद्धि करते हैं। पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं, संतान-पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।