मथुरा से आए व्यास पवन चतुर्वेदी ने अपनी टीम के साथ मोर नृत्य प्रस्तुत किया
रणबीर सिंह, गन्नौर, सोनीपत। भारत के 68 तीर्थों में शामिल सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर सतकुम्भा उत्सव के दूसरे दिन खास मौके पर शतचंडी रूद्र महायज्ञ में श्रद्धालुओं ने आहुति डाली। सतकुभा धाम खेड़ी गुज्जर की है यही शान। खेड़ी गुज्जर की इस धरा पर पावन है ये शिव धाम। आकर जो यहां दर्शन करें तो मन प्रसन हो जाता है। बाबा के चरणों अपने आप शीश झुक जाता है। सिद्धपीठ सतकुंभा धाम जो हरियाणा के जिला सोनीपत से 24 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, खेड़ी गुज्जर के टीले पर सिद्धपीठ सतकुंभा धाम है। देश के 68 तीर्थों में शामिल उपमंडल गन्नौर के गांव खेड़ी गुज्जर का यह तीर्थ स्थल है। सतकुंभा धाम पर साल में दो बार मेला लगता है।
पहला मेला कार्तिक पूर्णमासी व दूसरा मेला सावन के अंतिम रविवार को। सतकुंभा में बने मंदिर के पीछे लगभग 45 फीट गहरी कुंआ नुमा सुरंग है। यह स्थान ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों का स्थान रहा है, जहां पर बैठकर ऋषियों ने तप किया था। तीर्थस्थल सतकुंभा धाम एवं मंदिर क्षेत्र 8 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इस प्राचीन स्थान पर देश व विदेश से श्रद्धालु पहुंचकर दर्शन करते है और प्राचीन तालाब के जल को ग्रहण करते हैं। सतकुम्भा धाम पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि राजेश स्वरूप महाराज के परम सानिध्य में हवन कुंड में आहुति डालने से सुखद अहसास का आभास होता है।
महाराज का आशीर्वाद श्रद्धालुओं को मिलता है और महाराजश्री के संरक्षण में यह काम बहुत ही सुन्दर ढंग से आगे बढ़ेगा। खेडी मयाना में स्थित सतकुंभा धाम पुरानी धरोहर है। पूरे भारतवर्ष में अपनी एक अलग पहचान रखने वाला तीर्थस्थल बौद्धिक दिव्य और भव्य है। यह स्थान सतयुग काल में यमुना नदी के किनारे ही होता था, जो आज से कई किलोमीटर दूर है। श्रद्धालुओं ने कहा कि यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से मनोकामना लेकर आता है। परमात्मा की असीम कृपाओं के साथ और सतकुम्भा तीर्थ धाम की उसकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है।