सात दिवसीय सतकुम्भा 2022 आरंभ
सनातन धर्म की पताका लहराते हुए अध्यात्मिक चितंन मंथन करें : राजेश स्वरूप महाराज
पूजा में हमारा प्रथम संकल्प पूरे विश्व का कल्याण हो
सतकुंभ का महत्व तीनों कालों में रहा
-सैकड़ों महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली तीर्थ की परिक्रमा की
रणबीर सिंह, सोनीपत। सतकुम्भा तीर्थ के पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज के सानिध्य में सात दिवसीय सतकुम्भा उत्सव बुधवार को कलश यात्रा निकालने के साथ ही आरंभ हो गया है। शतचंडी एवं रुद्र महायज्ञ आचार्य दीपक कौशिक के नेतृत्व में 9 ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया गया। मुख्य यजमान सुनील जैन व रश्मि रहे।
महंत राजेश स्वरुप महाराज ने मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए कहा कि भारत के 68 तीर्थों में शामिल सिद्धपीठ तीर्थ सत कुंभा धाम में सत और कुंभ का मिलन अपने आप में अद्भुत संयोग है। पूरी वसुंधरा पर भारत देश के अंदर सनातन धर्म की पताका लहराते हुए अध्यात्मिक पूजा वैदिक कार्यक्रम होते हैं। पूरे विश्व में भारत इकलौता ऐसा देश है और इस भारत देश से इस सत्य की परंपरा है।
कुंभ कलश स्वयं में जो हमारे शब्द कुंभ के रूप में सप्त ऋषियों ने जो अपने योग बल से तपस्या करके समुंद्र मंथन के पश्चात अपना एक कलश जिसको हम देसी भाषा में लोटा बोलते हैं, उस कलश सात धाराओं के रूप में जल इस धाम से प्रभावित किया। उस साधारण के महत्व में से ही यह जो सत कुंभा धाम प्रकट हुआ। चारों युगों में सतकुम्भा का अपना एक विशेष महत्व है।
चाहे वह द्वापर, सतयुग, त्रेता युग, चाहे अब कलयुग है।इन तीनों कालों में अलग-अलग काल के अंदर स्थान की महत्वता रही। इस स्थान की पवित्रता रही और अब इस कॉल में हम सब की श्रद्धा और विश्वास ने इस तीर्थ की महिमा को बरकरार रखा। यह हमारे उन पुण्य ऋषियों को वंदन है, जिनके कारण अब ऐसा संभव हो पाया है।
बाबा सीताराम, आध्यात्मिक गुरु लज्जा राम, रामचंद्र, रामस्वरूप, बाबा देवराम अनेकों अनेक संत इस स्थान पर हुए स्थान को सुरक्षित रखा है।आज विकास के मार्ग को लहराते हुए श्रद्धा और विश्वास हमारे परिवार जो हैं, चाहे वह भारत के किसी भी भाग में बसते हैं। उन सबकी एक ऐसी भावना है कि हमें सतकुम्भा तीर्थ पर जाना है।
बाबा सीताराम पर जाना है, वह भावना की जो अलग है इस तरह का आशीर्वाद हमेशा मिले। इसके लिए हमें प्रेरित करते थे।सतकुंभा तीर्थ पर स्वर्गीय लाला महाबीर प्रसाद जैन के पुत्र सुनील जैन, खेड़ी गुज्जर के सरपंच निशांत छौक्कर, प्रधान सेठपाल, सुरेश गोयल, साहिल गोयल, शिवेंदू भारद्वाज, प्रबंधक सूरज शास्त्री, पवन शास्त्री, भगवान श्रीकृष्ण की लीला का मंचन करने वाले व्यास पवन चतुर्वेदी, बाबुल नाथ, अतुल, रामअवतार, आकाश, अमन आदि मौजूद रहे।