- ओबीसी समाज के लोगों ने जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
- पदोन्नति में ओबीसी वर्ग का भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। मूलनिवासी बहुजन संगठनों की आखिल भारतीय सहयोग एवं समन्वय समिति द्वारा ओबीसी के हक अधिकारों के लिए छह सूत्रीय मांगों को लेकर हरियाणा सरकार के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। जिला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में प्रदेश सरकार से मांग की कि पिछड़ा वर्ग संबंधी क्रीमीलेयर अधिसूचना रद्द की जाए। पदोन्नति में ओबीसी वर्ग का भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। जाति आधारित जनगणना करवाई जाए तथा संख्या के अनुपात में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए और अन्य पिछड़े वर्गों को जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी दी जाए। सभी सरकारी विभागों में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग का बैकलाग पूरा किया जाए।
सभी प्रकार के सरकारी ठेकों में ओबीसी, एससी,एसटी को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। ओबीसी वर्ग को संख्या के अनुपात में बजट दिया जाए। निजीकरण बंद किया जाए। ज्ञापन में सरकार से मांग की कि पिछड़ा वर्ग क्रीमीलेयर सम्बन्धी 17 नवम्बर 2021 वाली अधिसूचना को तत्काल रद्द किय जाए, क्योंकि भारत के संविधान में क्रीमीलेयर का उल्लेख नहीं है। इससे भी भयानक बात यह है कि आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा यह सीमा 8 लाख निर्धारित की गई है। जबकि हरियाणा सरकार ने इसको 6 लाख रूपए निर्धारित कर दिया है तथा साथ ही इसमें कृषि व अन्य प्रकार की आय को भी शामिल कर दिया है। जबकि आरक्षण प्रतिनिधित्व का मसला है यह गरीबी मिटाने का कार्यक्रम नहीं है।
गरीबी को खत्म करने के लिए सरकार अन्य योजनाएं बना सकती है। अतः क्रीमीलेयर की इस अधिसूचना को तत्काल रद्द किया जाए तथा अन्य पिछड़े वर्गों को संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। पदोन्नति में ओबीसी को संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व ( हिस्सेदारी) सुनिश्चित किया जाए। भारत के संविधान की मूलभावना के अनुसार पदोन्नति में अनुसूचित जाति, जनजाति के साथ-साथ अन्य पिछड़े वर्गों को भी पदोन्नति का अधिकार है, लेकिन बड़े पैमाने पर इसकी अवहेलना हो रही है। विभागों में रोस्टर को भी नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप ओबीसी वर्ग दिन-प्रतिदिन पिछड़ता जा रहा है। अतः ओबीसी को भी पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए। ओबीसी की जाति आधारित जनगणना करवाई जाए तथा संख्या के अनुपात में नविनतम आंकड़ों के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।
देश में 1931 में हुई जाति-आधारित जनगणना के अनुसार ओबीसी वर्ग की जनसंख्या 52 प्रतिशत थी, जिसमें स्वाभाविक रूप से अब और भी बढ़ोतरी हुई होगी. अब यह आंकड़ा पुराना हो गया है। अतः ओबीसी वर्ग को उसका हिस्सा मिलना ही चाहिए जिसके लिए जाति-आधारित जनगणना बेहद जरूरी है। इसके लिए प्रदेश में जाति-आधारित जनगणना करवाई जाए। यह प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में होनी चाहिए तभी भारत के संविधान का अनुच्छेद 340 का पालन ठीक प्रकार से हो पाएगा। सभी सरकारी विभागों में ओबीसी का बैकलॉग भरा जाए। इस दौरान राजेन्द्र सैनी, सतीश जांगड़ा, आरके चोपडा, आरएस भौरिया, पूनमलता, पूनम देवी, ईश्वर सिंह, हवा सिंह, राजेश कश्यप, कुलदीप बेदी, जगबीर सैनी आदि मौजूद रहे।