रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। मुनि विशोक सागर महाराज ने गुडमंडी शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में संबोधित करते हुए कहा कि महावीर और उनकी अहिंसा की दुनिया में सर्वाधिक जरूरत है, दुनिया को आज फिर से ऐसे महावीर की जरूरत है, जो मांसाहार, हत्या, बर्बरता, भ्रष्टाचार और जुल्मों की अंधकार में अहिंसा करुणा और साधना का दीप जला सके। अहिंसा को उसकी संपूर्ण गरिमा और तेजस्विता दिला सके। हमारी परंपरा अहिंसा और करुणा की रही है, परंतु आजाद भारत में आजकल लाखों पशुओं के प्रति दिन मांस निर्यात के लिए हो रहा है और हम सब मूक पशु के समान चुप बैठे हुए हैं। यह चुप्पी साधने का समय नहीं है।
मौन तोड़ीये और इस हिंसा के खिलाफ मैदान में उतरी रामचंद्र 14 वर्ष बन में रहे, परंतु किसी पशु पक्षी को मारकर नहीं खाया। किसी को नहीं सताया, किसी का घात नहीं किया, अहिंसा का पालन करते हुए फल फूलों को खाकर की 14 वर्ष वन में बिता दिए। इस संसार के लोग हजारों पशु पक्षियों को मारकर के उनका कत्ल करके अपना पेट भरने के लिए ग्रास बना रहे हैं। पांडव अज्ञातवास में रहे, परंतु किसी भी पशु पक्षी को मारकर नहीं खाया। इसीलिए आज राम की पांडवों की भगवान महावीर की गौरव गाथा को गाया जाता है, आज अहिंसा की सख्त जरूरत है। भारत के माथे पर लगा मांस निर्यात का कलंक जब तक नहीं हटा डालूंगा तब तक मैं हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठूंगा और इसके लिए मुझे आचार्य विराग सागर महाराज का आशीर्वाद और प्रेरणा प्राप्त है।
अगर कोई मेरे साथ में ना भी देगा तो भी मैं अकेला लड़ लूंगा, अब हम अहिंसा के समर्थन में तालिया ना बजाएं अब तो हिंसा के विरोध में ताल भी ठोके। अब तालियां बजाने का नहीं, बल्कि ताल ठोकने का समय आ गया है। हिंसा, क्रूरता, बर्बरता के खिलाफ ताल ठोकेंगे और मैदान में उतरेंगे। भले लोगों के समय पर चुप रहने से बुराइयों को बढ़ावा मिलता है, गलत को गलत कहते रहिए। अहिंसा व्यक्ति के जीवन में सर्वोपरि है। बाल ब्रह्मचारी पुष्पेंद्र शास्त्री ने कहा कि किसी बूढ़े आदमी को लकड़ी का सहारा लेकर चलते देख हंसना मत, अभी तो यह सोचना कि यह दुर्घटना कल मेरे जीवन में भी दुर्घटना घट सकती है। किसी गरीब की दीनहीन की अवस्था को देख करके उपेक्षा मत करना, अब तो यह सोचना कि यह घटना कल मेरे जीवन में भी घट सकती है।
दरवाजे पर आए किसी भिखारी को भीख मांगते देखकर दुत्कार ना मत, अब तो यह सोचना इसने मुझे एक पुण्य करने का अवसर दिया है, अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारे घर परिवार में शांति बनी रहे तो अपने घर में ज्योतिषी और तांत्रिक को कभी मत आने देना। इन्हें दूर से ही सलाम करके विदा कर देना। घर के दरवाजे से ही कुशल पूछ कर विदा कर देना, इन्हें घर के अंदर आने ही मत देना, क्योंकि जिन घरों में इनका आना-जाना शुरू हो जाता है, उन घरों की शांति भंग हो जाया करती है। देश और समाज में व्याप्त गंदगी, नैतिकता, आतंक, हिंसा और संप्रदायिकता से मेरा मन व्यथित है। भारत जैसे धार्मिक देश के लिए यह सब शोभा नहीं देता। मैं वधशाला और क्रूरता मुक्त भारत के दर्शन करना चाहता हूं। इस अवसर पर ब्रह्मचारी मनोज जैन, ब्रह्मचारी विनोद जैन, ब्रह्मचारी रामपाल जैन एवं समाज के गणमान्य लोग उपस्थित हुए।