रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। किसी भी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक तथा सांस्कृतिक उन्नति में देश के नागरिकों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है। वर्तमान परिदृश्य में भारत के बदलाव में देश के नागरिक सबसे बड़ा वाहक है। युवा देश और समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सामर्थ रखते हैं। हम जितने राष्ट्र प्रेमी उन्नत व कौशलयुक्त होंगे, देश की तरक्की व उन्नति की संभावनाएं भी उतनी ही अधिक प्रबल होंगी। भारत ज्ञान शक्ति और कर्म शक्ति से आत्मनिर्भर बनेगा। स्वतंत्रता के बाद कैसी नीतियों बनी यह हमें समझने की आवश्यकता है। उस वक्त जिन हाथों में देश की कमान थी, उन्होंने विदेशी नीतियों को आगे बढ़ाया।
उक्त बातें डॉ. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘आत्मनिर्भर भारत और वर्तमान परिदृश्य’ में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री शंकरानंद ने बतौर मुख्य वक्ता कही। उन्होंने कहा कि देश को चलाने का कार्य केवल किसी सरकार का नहीं बल्कि हम सभी नागरिकों का कार्य तथा ज्ञान शक्ति, कर्म शक्ति, अर्थ शक्ति, व संसाधनों का न्यूनतम दोहन करके हम “आत्म निर्भर भारत अभियान” में योगदान दे सकते हैं। हमें खुद के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए भारत को विश्व गुरु बनना है।
उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर के लिए देश में गहरा चिंतन व अनुसंधान की आवश्यकता है। देश के सभी विश्वविद्यालयों को इस पर अनुसंधान करने के साथ-साथ युवाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए रोजगारयुक्त कोर्स में शिक्षा देनी होगी। शंकरानंद ने कहा कि लघु कुटीर उद्योग ज्यादा से ज्यादा रोजगार देंगे। भारत दुनिया का शक्तिशाली देश रहा है, कभी सोने की चिड़ियां रहा। भारत ने कभी किसी देश का शोषण नहीं किया। उन्होंने पर्यावरण, कंसट्रक्शन, मेन्यूफेक्चरिंग, रियल सैक्टर एवं जीडीपी इत्यादि सैक्टर्स के बारे में भी बताया। कोरोना काल के इस संकट के दौर में आमजन की विश्व संस्कृति के साथ ही कार्य की प्रकृति भी बदल गई है। लिहाजा बदलती नई टेक्नोलॉजी ने सभी पर अपना एक अलग ही असर दिखाया है।
आज के इस दौर में आर्थिक जगत के तौर तरीके काफी तेजी से बदल रहे हैं। मुख्य अतिथि कुलपति डॉ बी.के रतन ने आत्मनिर्भर का महत्व बताते हुए कहा कि कोविड -19 महामारी के दौरान देश के आत्म निर्भरता की ओर बढ़ते कदमों की सराहना की। कुलपति प्रो. विनय कपूर मेहरा ने कहा कि युवाओं को उनके जीवन का प्रभार लेने के लिए उन्हें सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। यह जरूरी है कि युवाओं को उनकी क्षमता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किये जाए, ताकि वे अपने जीवन में किसी गलत रास्ते पर न जा सकें। सस्ती और संस्कारों से परिपूर्ण गुणवत्तायुक्त शिक्षा और प्रशिक्षण की कमी के कारण हमारे समाज में बेरोजगारी और रोजगार के साधनों की समस्या व्याप्त है।
राष्ट्र की युवा शक्ति को आत्म निर्भर भारत के निर्माण में एक मजबूत आधार स्तंभ के रूप में संकल्प पूर्वक आगे आने की आवश्यकता है। आत्म निर्भर भारत अभियान की सफलता राष्ट्र के नागरिकों द्वारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को आत्मसात करते हुए स्वदेशी व कौशल के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त की जा सकती है। हमें हर हाल में वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ-साथ भारतीय व प्राचीन परंपरागत विभिन्न कौशलयुक्त विधाओं को भी समन्वित रूप से साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। जिससे विकराल होती समस्या का उचित व उपयोगी समाधान मिल सके।