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बालिकाओं को उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहिए
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लड़कियों को शिक्षित करना हमारा पहला दायित्व
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। सारथी जन सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस-2021 के उपलक्ष्य में सेमिनार डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी, एवं नवरात्रों के पावन अवसर पर कन्या पूजन आखिर कब तक? विषय पर संगोष्ठी व कन्या पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में रमेश चंद्र चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सोनीपत, विशिष्ट अतिथि बेटी बचाओ जन चेतना अभियान समिति की अध्यक्ष किरण बाला व कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिल कुमार जैन ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत कन्याओं का पूजन के साथ की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रमेश चंद्र ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मूल उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। सालों से चली आ रही बाल विवाह प्रथा, दहेज और कन्या भ्रूण हत्या जैसी रुढ़िवादी प्रथाएं काफी प्रचलित हुआ करती थी इस आधुनिक युग में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सामूहिक प्रयास किये जाने चाहिए। हमें एक साथ मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहिए जहां लिंग आधारित भेदभाव न हो और लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिले। इस अवसर पर मुख्य वक्ता मुकेश दिगानी ने कहा अब भी बालिकाएं, बेटियां हमसे अपने हक के लिए लड़ रही हैं।
चांद तक पहुंच चुकी दुनिया में, बालिकाओं की खिलखिलाहट आज भी उपेक्षित है। अपनी खिलखिलाहट से सभी को खुशी देने वाली लड़कियां आज भी खुद अपनी ही खुशी से महरूम हैं। आज भी वह उपेक्षा और अभावों का सामना कर रही हैं। गरीबी और रूढ़ियों के चलते लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता। लाख प्रतिभाशाली होने के बावजूद कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी जाती है या शादी करने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है। बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी वह भेदभाव, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। इसलिए लड़कियों को शिक्षित करना हमारा पहला दायित्व है और नैतिक अनिवार्यता भी। शिक्षा से लड़कियां न सिर्फ शिक्षित होती हैं बल्कि उनके अंदर आत्मविश्वास भी पैदा होता है। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं साथ ही यह गरीबी दूर करने में भी सहायक होती है।
कन्या पूजन आखिर कब तक? विषय के बारे में सारथी जन सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन सतपाल सिंह अहलावत ने कहा कि भारत में सदियों से आस्थावान नारी, शक्ति, सम्पदा, विद्या की देवी के रूप में दूर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा करती आ रही है। वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले नवरात्रों एक नहीं नौ देवियों की पूजा अर्चना करते हैं। देवियों के मंदिरों में यात्रा पद यात्रा, जागरण, कई-कई दिन के उपवास रखते हैं। परन्तु यह देखकर दुखद आश्चर्य होता है, जब वे कोख में ही कन्या भ्रूण को जन्म नहीं लेने देते हैं। अहलावत ने कहा कि इसी तरह अगर कन्याओं को जन्म नहीं लेने दिया गया तो दूर्गाअष्टमी के अवसर पर होने वाली कन्या पूजन कैसे होगा। उन्होंने कहा कि कन्याओं को जन्म न लेने देना, जघन्य पाप है। इस अवसर पर ट्रस्ट के संरक्षक सुभाष वशिष्ठ, वीके मित्तल, रामबिलास गोयल, सुशील गोयल, डॉ मीनू गबरानी, अशोक कुमार, मौजूद रहे।