- 74 वर्षों के बाद भी ओबीसी समाज अधिकारों से वंचित
- एसडीएम शशि वसुंधरा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा
- ज्ञापन में ओ.बी.सी की जातीय जनगणना करने की मांग की
- 127वां संशोधन कानून को रद्द करने की मांग
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। ओ.बी.सी समाज हरियाणा ने शनिवार को छोटूराम चौक पर प्रदर्शन किया। उसके बाद लघु सचिवालय तक प्रदर्शन करते हुए एसडीएम शशि वसुंधरा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि देश की कुल आबादी का 60 प्रतिशत समूह ओबीसी समाज आज भी अधिकारों से वंचित है, क्योंकि ओबीसी का एक समूह जिसकी जनसंख्या लगभग 42 प्रतिशत के आस पास है और जिसकी भारत की मुख्य धारा से इस वर्ग को दूर कर दिया गया है। इस वर्ग को अति पिछडा वर्ग के नाम से पूरे देश में जाना जाता है। 2018 में भाजपा ने खुद लोकसभा चुनाव से पहले यह वादा किया था कि अगर भाजपा दोबारा से देश की सत्ता में लौटी तो भाजपा पहली ही कलम से ही पिछडा वर्ग को अधिकार देगी। लेकिन आज भी यह वर्ग जिस स्थिति में पहले था गिरावट की तरफ जा रहा है।
ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी की नीतियां इसी वर्ग को लम्बे समय तक गुलाम बनाये रखने के लिए षडयंत्र रचकर इस वर्ग की ताकत को खत्म करने पर लगी है। यह समाज अब धीरे-धीरे सभी प्रदेशों में भाजपा से छिटक कर अन्य क्षेत्रीय पार्टी व अन्य पार्टियों की तरफ जा रहा है। ओ.बी.सी समाज, हरियाणा ने ज्ञापन में मांग की है कि पांच राज्य चुनाव से पहले अति पिछड़ी जातियों के भाग्य लिखने का काम, ओ.बी.सी जातीय जनगणना करे। देश में हर 10 साल बाद हर वर्ग की जातीय और धार्मिक गिनती होती है। लेकिन ओबीसी की जातीय जनगणना न होने से इस वर्ग से सम्बन्धित शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक स्थिति के आकड़े होने के कारण इन वर्गों की समस्याओं का समाधान नहीं निकल पाता। देश में पशु, भेड़, बकरी, सुअर यहां तक की किन्नर तक की भी गिनती होती है। लेकिन 60 प्रतिशत ओ.बी. सी की जातीय जनगणना न कराना किसी षडयंत्र की बू आती है।
ओ.बी.सी समाज हरियाणा ने भारत सरकार ने 127वां संशोधन कानून बनाकर राज्य सरकारों को किसी भी जाति को ओबीसी में डालने की जो पावर दी है, उससे कमजोर पिछड़ा जातियों का भविष्य खत्म हो जाएगा। ओ.बी.सी समाज ने कहा कि पंच से लेकर सांसद तक 42 प्रतिशत जातियों को राजनीतिक कोटा देकर विधानसभा व लोकसभा में भागीदारी दी जाये, ताकि इस वर्ग के भी अधिकारों को इन दोनों सदनों में उठाया जाये और आने वाले समय के लिए इस जाति के बच्चों का भविष्य बचाया जा सकें। इस दौरान महेन्द्र पांचाल, गंगाराम पांचाल, रामदिया प्रजापत, अनिल वर्मा, हंसराज स्वामी, निर्मला पांचाल, राजेन्द्र सैनी, डा. महासिंह कश्यप, महाबीर सिंह, सत्यनारायण पांचाल, भलेराम जांगड़ा, बलवान कश्यप सहित काफी संख्या में ओबीसी समाज के लोग मौजूद रहे।