श्री शांतिनाथ भगवान का जलाभिषक …..
रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। दशलक्षण महापर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म के रूप में श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मंडी सोनीपत में मनाया गया। इस अवसर पर भगवान के अभिषेक के पश्चात शांतिधारा करने का सौभाग्य मुकेश जैन रजत जैन व शुभम जैन, रघुबीर सिंह जैन परिवार को मिला। शुक्रवार को श्री सम्मेद शिखरजी महामंडल विधान का आयोजन प्रेमचंद जैन, मनोज जैन, राजीव जैन की ओर से किया गया। इस अवसर पर टीकमगढ़ से पधारे पंडित संजय शास्त्री ने कहा कि संसार में त्याग की महिमा अपार है। त्याग के अलग-अलग रूप हैं। कोई वस्तु का त्याग करता है, कोई राज्य का त्याग करता है, कोई खाने पीने का त्याग करता है। हर त्याग की अपनी महत्ता है। यदि सार्थक दिशा में त्याग किया जाए तो वह निश्चित ही मुक्ति की ओर ले जाता है और उसका फल अवश्य मिलता है।
मुकेश जैन, एसके जैन ने कहा कि भगवान श्रीराम ने पिता की आज्ञा मानते हुए राज्य का त्यागसंगठन के स्थापना दिवस समारोह पर मुख्यालय पर झंडा फहराया जाएगा किया। सभी सुखों का त्याग किया, तभी वह भगवान बन पाए और दुर्योधन ने मात्र पांच गांव का भी त्याग नहीं कर पाया तो महाभारत हुआ। इसलिए त्याग धर्म का जीवन में अपना ही महत्व है। जगदीश जैनख् महन्त जैन ने कहा कि जिस प्रकार हम सांस लेते हैं और यदि हम उसका त्याग ना करें तो आप समझ सकते हैं क्या होगा? इसलिए जो भी आवश्यकता से अधिक वस्तुएं हैं, उनका त्याग कर देना चाहिए। इस अवसर पर दीपाली, पूजा, अंजू, संतोष, मधु, शशि, सुरेश, जयकुमार, रमेश, पवन इत्यादि सहित जैन समाज के मौजिज लोग उपस्थित रहे।