रणबीर रोहिल्ला, सोनीपत। मंगलवार को शहर में नवरात्र के पहले दिन महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की। मान्यता के अनसुार नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। इसी वजह से मां के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री का प्रसन्न करने के लिए यह ध्यान मंत्र जपना चाहिए। इसके प्रभाव से माता जल्दी ही प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं। मनोवांछित लाभ के लिए मस्तक पर अर्धचन्द्र धारण करने वाली, वृष पर आरूढ़ होने वाली, शूलधारिणी, यशस्विनी शैलपुत्री दुर्गा की वंदना करते हैं। नवरात्र के अवसर पर सर्व मंगलमयी मां दुर्गा की उपासना भारतीय संस्कृति का गौरवमयी आधार है।
ऐश्वर्य व पराक्रम स्वरूप एवं इन दोनों को प्रदान करने वाली मां दुर्गा की शक्ति नित्य के व्यावहारिक जीवन में आपदाओं का निवारण कर ज्ञान, बल, क्रियाशक्ति प्रदान कर, धर्म, अर्थ, काम की याचक की इच्छा से भी अधिक प्रदान कर जीवन को लौकिक सुखों से धन्य बना देती है। ये महाशक्ति दुर्गा कौन हैं, इस संबंध में देवर्षि नारदजी की जिज्ञासा को शांत करते हुए भगवान नारायण ने कहा था कि देवी नारायणी शक्ति नित्या सनातनी ब्रह्मलीला प्रकृति हैं। जैसे स्वर्ण के बिना स्वर्णकार अलंकार तथा मिट्टी के बिना कुम्हार कलश का निर्माण नहीं कर सकता, उसी प्रकार सर्वशक्ति स्वरूपा प्रकृति (दुर्गा) के बिना सृष्टिकर्ता सृष्टि का निर्माण नहीं कर सकता। इसलिए इस महाशक्ति की उपासना हरि (विष्णु), हर (शिव) तथा विरिंचि (ब्रह्मा) सभी करते हैं। अत: नवरात्र के अवसर पर महाशक्ति स्वरूपिणी मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।