राजेश सलूजा/ राजेश क्वात्रा, हिसार। हरियाणा की प्रतिष्ठित संस्था ग्रीन लिटरेचर साहित्य मंच के तत्वाधान में नववर्ष के उपलक्ष में ऑनलाइन वीडियो काव्य-गज़़ल गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस साहित्यिक काव्य गज़ल गोष्ठी का विषय था 2020 क्या खोया क्या पाया। यह आयोजन मंच की संस्थापक और अध्यक्ष एडवोकेट नेहा धवन व डॉक्टर गीतू भुटानी की अध्यक्षता में किया गया। यह प्रोग्राम ग्रीन लिटरेचर संस्था के यु-ट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया। इस ऑनलाइन वीडियो गोष्टी के मंच का संचालन डॉ गीतू भुटानी ने किया। ग्रीन लिटरेचर संस्था के देशभर में उपस्थित साहित्यकार सदस्यों ने भाग लेगा लिया। उन्होंने 2020 में क्या खोया क्या पाया विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। देशवासियों को आने वाले नए साल की शुभकामनाएं दी। एडवोकेट नेहा धवन ने बताया कि इस ऑनलाइन गोष्ठी में भारत से ही नहीं बल्कि नेपाल से भी हिंदी साहित्यकारों ने अपनी वीडियो प्रस्तुति दी। भिवानी से कवियत्री नीलम महाजन कराया कि कविता ऐसा बीता बीस-बीस, हर मन में उठी टीस-टीस ने बीते वर्ष की पीड़ा को उजागर किया।
दिल्ली से राम किशन शर्मा के गीत बम्ब एक ऐसा चीन ने फोड़ा, वायरस कोरोना विश्व में छोड़ा ने मन मोह लिया। दिल्ली से कृष्णा वार्ष्णेय कहा नहीं आता अब पास कोई, जाता नहीं अब मिलने कोई दूरियां दे कर बेहाल बना दिया। जौनपुर उत्तर प्रदेश से सागर सिंह की गज़़ल नए वर्ष को समर्पित मेरे आने की खबर मुझसे पहले मिल गई सुरीली आवाज़ में पेश की गई। सोनीपत से ज्योति राज की गज़़ल क्यूं तुम इतना मलाल रखते हो, दिल को जान को हलाल रखते हो ने गोष्ठी को अपने उत्कर्ष पर पहुंचा दिया। रोहतक से कवि सुभाष अरोड़ा ने 2020 के दर्द को कुछ इस तरह पेश किया सडक़े पड़ी थी सूनी, पर मज़दूर जा रहा हाकिम था घर में बंद, बस खुद को बचा रहा। उर्मिल की कविता कोरोना छुट्टी पर है ने सबका ध्यान खींचा। ऐलानबाद सिरसा से कवि मोहनलाल अरोडा ने रेल नहीं, मेले नहीं, रिक्शा नहीं, ठेले नहीं, जीवन की भागदौड़ में हमने ये पल झेले नहीं के माध्यम से 2020 में लॉकडाउन की स्थिति को उकेरा। नेपाल से उपस्थित कवयित्री इंदु तोड़ी ने अपनी कविता के माध्यम से सीख दी क्यूं करना छीना झपटी मारा काटी, सुखी रहने को तो थोड़े ही साधन है काफी।
हिसार से सीमा शर्मा ने औरतों के गर्भ सडक़ किनारे गिर गए, लहूलुहान नारियां यूं ही चलती रही से बीते वर्ष की पीड़ा का एहसास कराया। चैन्नई से हिंदी प्रचारक डॉ गोवरी ने कोरोना आया जिंदगी का महत्व पाया जैसी रचना से मानवता का पाठ सिखाया। महेंद्रगढ़ से डॉ कृष्णा आर्य ने लोक धुन की तजऱ् पर नए वर्ष के आगमन की तैयारी का गीत गाया। फरीदाबाद के कवि विनोद धींगड़ा ने ये तो हिम्मत है हम सबकी, एक जुट सामना किया सभी ने जैसी रचना से बीते वर्ष में सबका मनोबल बढ़ाया। हिसार से शशि सरदाना ने इस गोष्ठी में जो बीत गयी सो बात गई, आगे की सुधि ले से 2021 में खुद को बदलने और संवरने की प्रेरणा दी।
कलकत्ता से कृष्णा भिवानीवाला ने हमने बरसों बाद चिडिय़ा को चोंचसे दाना उठाते देखा कविता से लॉकडाउन के सुखद एहसास को प्रदर्शित किया। जींद से सरोज कौशिक ने हरियाणवी कविता हाय मैं 65 साल की हौली, मन्ने देखी ना करोना बीमारी ने सबका मन मोह लिया। हिसार से सुनीता मेहतानी ने अपनी कविता से मानवता का संदेश दिया। दरभंगा बिहार से ऋतु प्रज्ञा ने भी बीते वर्ष में क्या खोया क्या पाया का सदेश दिया। नेहा धवन ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का धन्यवाद करते हुए नव वर्ष पर सुख , शांति का संदेश देते हुए बधाई दी।